March 29, 2024

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस : शिक्षा और बदलाव

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सर्वेश तिवारी, लेखक ‘राइज ऑलवेज वेलफेयर सोसाइटी’ और ‘सक्षम चंपारण’ के संस्थापक तथा ‘निर्भया ज्योति ट्रस्ट के महासचिव हैं।
मानव सभ्यता आज जहाँ खड़ी है वह धीरे-धीरे शिक्षित और जानकार होने के साथ ही आगे बढ़ी है ।
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का अवसर हम सभी को याद दिलाता है कि हमें कभी किसी बच्चे को शिक्षा से वंचित नहीं रहने देना चाहिए। सबसे सुंदर और विचारशील उपहार जो हम एक बच्चे को दे सकते हैं, वह उसकी शिक्षा है। बच्चे को शिक्षित करने का कोई मौका नहीं चूकना चाहिए। जब आप एक बच्चे को शिक्षित करते हैं, तो आप न केवल उसका वर्तमान बल्कि उसका सारा जीवन अच्छे के लिए बदल देते हैं। शिक्षा की शक्ति और अच्छाई को कभी भी कम करके नहीं आंका जाना चाहिए और न ही कभी नजरअंदाज करना चाहिए। शिक्षा भविष्य को संवारती है, क्योंकि आने वाले कल को शिक्षा के माध्यम से ही बेहतर बनाया जा सकता है। शिक्षा प्राप्त करने का अवसर जीवन को निश्चित रूप से बेहतरी की ओर ले जा सकता है। किसी भी बच्चे का बचपन कभी बर्बाद न होने दें, उसे पढ़ायें और आगे बढ़ाने में मदद करें। बच्चे को पढ़ाने में माता-पिता की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है वह अपने बच्चों को ‘शिक्षा’ का सबसे अच्छा उपहार दे सकते हैं। प्रत्येक बच्चा शिक्षा का हकदार है, लेकिन दुख की बात यह है कि वर्तमान समय में भी हर बच्चे की पहुंच शिक्षा तक नहीं है।
सरकार द्वारा वर्ष 2014 में किए गए ‘नेशनल सर्वे फॉर एस्टिमेशन ऑफ आउट ऑफ स्कूल चिल्ड्रेन’ के अनुसार, 60 प्रतिशत से अधिक बच्चों ने तीसरी कक्षा पूरी करने से पहले ही पढ़ाई छोड़ देते हैं। सर्वे में यह भी पाया गया कि सूचना का अधिकार कानून के लागू होने के बाद से बच्चों के बीच में ही पढ़ाई छोड़ने की दर में कमी आई है। 2014 में 6 से 13 साल की उम्र में स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या 60 लाख रही। जबकि 2009 में यह 80 लाख थी। उम्मीद है यह दर धीरे-धीरे कम होती जाए और सभी बच्चों को बुनियादी शिक्षा प्राप्त हो सके।
बच्चों के लिए काम करने वाली यूनिसेफ की 2016 के एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, “भारत में 3 से 6 साल के 7.40 करोड़ बच्चों में से 2 करोड़ प्री-स्कूल नहीं जाते।“
हमें एक पल के लिए भी नहीं भूलना चाहिए, कम से कम बुनियादी शिक्षा प्राप्त करना प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है। जिसके बिना वह एक नागरिक के रूप में अपने कर्तव्यों का पूरी तरह से निर्वहन नहीं कर सकता है। शिक्षा समाज में क्रांति ला सकती है। विश्व के इतिहास में और भारत की आज़ादी के इतिहास को देखेंगे तो शिक्षा ही ऐसा हथियार रहा है जिससे क्रांति आई है और आजादी मिली है । इन सब में स्कूली शिक्षा के साथ ही विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं द्वारा शिक्षा के प्रसार का एक विशेष महत्व है। आज बेशक हम ख़बरों की दुनियां के प्रति अलग दृष्टिकोण बनाने लगे हैं लेकिन यदि इसके इतिहास को देखेंगे तो उस दौर की ख़बरों और लेख ने लोगों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक ही किया है । और जिस समाज में जागरूकता आ गयी वह समाज अपने अधिकारों की लड़ाई स्वयं लड़ सकता है ।
शीर्ष पर चढ़ने के लिए ताकत की आवश्यकता होती है, चाहे वह माउंट एवरेस्ट की चोटी पर हो या आपका करियर और यह ताकत शिक्षा से आती है क्योंकि आत्मविश्वास मजबूत करने में शिक्षा का विशेष योगदान रहता है। इस बात का एहसास होना बहुत जरूरी है कि आत्मविश्वास के साथ ही आत्म सम्मान आता है। किसी भी तरह की गुलामी अत्यंत बुरी होती है। शिक्षा ही ऐसा दरवाज़ा है जिसके माध्यम से हम लोग और हमारी आगे की पीढ़ियाँ विकास की नई परिभाषा गढ़ सकती हैं । एक समय था जब हम विज्ञान के विषय में नहीं जानते थे, लेकिन यह शिक्षा ही है जो विज्ञान के ज्ञान से अवगत कराता गया । हमें हमारे मूलभुत अधिकारों के बारे में समझने का अवसर मिला। मानव सभ्यता के विकास के इतिहास को लगभग सभी लोग जानते हैं, यह विकासयात्रा आज यहाँ तक पहुंची है तो वह शिक्षा के कारण ही हो सका है । अनुभव आधारित शिक्षा और एक दुसरे के मनोभावों को समझने के प्रयास ने लिपियों का विकास किया, बोली-भाषा के विकास ने मनुष्य को सामाजिक रूप से अग्रसर होने का मार्ग बनाया। मानव सभ्यता आज जहाँ खड़ी है वह धीरे धीरे शिक्षित और जानकार होने के साथ ही आगे बढ़ी है ।
आज हम डिजिटल दुनियां से रूबरू हैं , डिजिटल एजुकेशन समय की जरुरत बन गयी है । शिक्षा के अनेक अवसर उपलब्ध हैं, अनेक विधाओं में शिक्षा लेकर लोग आगे बढ़ रहे हैं । तकनीकी ज्ञान और विज्ञान ने हमें ऐसी शक्ति दी है की अब हम पृथ्वी से बाहर के ग्रहों के बारें जानकारी जुटा रहे हैं, अंतरिक्ष में प्रयोगशाला बनाकर मानव के विकास को आगे बढ़ा रहे हैं । यह सब कुछ शिक्षा की ही देन है । पूरा विश्व समुदाय शिक्षा द्वारा जागरूक हुआ है और अपने अधिकारों की रक्षा करना तथा अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए आवाज़ उठाना सीखा है।
हमें इस दौर में ऐसे लोगों पर ध्यान देने की जरुरत है जो किसी कारणवश स्कूली शिक्षा से नहीं जुड़ पा रहे हैं । वर्तमान समय में जब शिक्षा की रोशनी सुदूर गाँव-गाँव पंहुच रही है तो वहीं कुछ ऐसे जगह भी हैं जहाँ विभिन्न सामजिक, आर्थिक और पारिवारिक कारणों के कारण बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाते हैं । हम सभी का प्रयास इन शिक्षा से वंचित बच्चों को मुख्यधारा की शिक्षा से जोड़ने पर ध्यान देना है । इसे ही ध्यान में रखकर मैंने ‘राइज ऑलवेज वेलफेयर सोसाइटी’ की स्थापना की है और चंपारण क्षेत्र में सामाजिक रूप से हासिये पर खड़े परिवार के बच्चों की शिक्षा के लिए जागरूकता अभियान के साथ आस-पास के स्कूलों से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है । आज सभी के हाथ में मोबाइल है और जागरूक लोग विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म से जुड़े हुए हैं, क्षेत्र के विकास और अन्य सामाजिक कार्यों को लेकर एक ग्रुप भी बनाया गया है जिसका नाम ‘सक्षम चंपारण’ है । यह ऐसा ग्रुप है जिसमें लोग क्षेत्र से जुड़े विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर बात करते हैं । मेरा प्रयास छोटा हो सकता है लेकिन उद्देश्य बड़ा है और संगठन के माध्यम से आज़ाद भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आज़ाद के विचारों को ध्यान में रखते हुए शिक्षा के प्रसार में समाज के लोगों में बदलाव लाने के लिए संकल्पित हूँ । राष्ट्रीय शिक्षा दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।

सर्वेश तिवारी, लेखक ‘राइज ऑलवेज वेलफेयर सोसाइटी’ और ‘सक्षम चंपारण’ के संस्थापक तथा ‘निर्भया ज्योति ट्रस्ट के महासचिव हैं।  एवं विभिन्न सामाजिक कार्यों के माध्यम से समाज के लोगों में जागरूकता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

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