दादी इंदिरा गांधी की याद ताज़ा कर गई प्रियंका गांधी वाड्रा
1 min readलड़की हूं लड़ सकती हूं कार्यक्रम के जरिए कार्यक्रम में जान फूंक गई राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा
वर्ष 1957 में कर्वी विधानसभा से अलग होकर मानिकपुर विधानसभा के नाम से बनी इस सीट पर कांग्रेस पार्टी का हमेशा से दबदबा रहा है यहां पर शुरुआत से ही कांग्रेस प्रत्याशी विजय हासिल करते हुए चले आए लेकिन इस विधानसभा सीट पर पहली बार 1974 में जनसंघ के प्रत्याशी लक्ष्मी प्रसाद वर्मा ने कांग्रेसी उम्मीदवार व कई बार विधायक रही सिया दुलारी को पराजित कर विधायक बने इसके बाद मानिकपुर विधानसभा सीट कभी कांग्रेस का गढ़ नहीं रही।
वर्ष 1989 में अंतिम बार यहां कांग्रेस से सिया दुलारी ने चुनाव जीता था उसके बाद लगभग 3 दशक बीत जाने के बाद मानिकपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी वोट के लिए तरसते हुए नजर आए।
लगभग तीन दशक बाद मानिकपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी की जीत के आसार दिखाई देने लगे अब देखना यह है कि क्या कांग्रेस प्रत्याशी 30 साल के सूखे को खत्म कर पाएगी या फिर इस बार भी यह सीट किसी अन्य दल के खाते में चली जाएगी।
वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जिसको लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी अपनी जीत का डंका पीटते हुए नजर आ रहे हैं ।
विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव व उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा चित्रकूट जिले में लड़की हूं लड़ सकती हूं कार्यक्रम के जरिए चुनावी बिगुल फूंकने का काम किया है व इस कार्यक्रम के जरिए महिलाओं में जोश भरते हुए नजर आईं जिसको देखते हुए इस बार के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अपनी दशा और दिशा बदलते हुए नजर आ रहे हैं।
मानिकपुर विधानसभा से प्रबल उम्मीदवार के रूप में रंजना बराती लाल पांडेय नाम आ रहा है जिसको लेकर रंजना बराती लाल पांडेय राष्ट्रीय महासचिव के इस प्रोग्राम में महिलाओं की काफी भीड़ इकट्ठा कर अपनी ताकत का एहसास करा दिया ।
अब देखना यह है कि क्या रंजना बराती लाल पांडेय लगभग तीन दशक से इस सीट से दूर रही कांग्रेस पार्टी का खाता खोलने में कामयाब हो पाएगी या नहीं…?
मानिकपुर विधानसभा सीट पर कभी कांग्रेस तो कभी जनसंघ तो कभी भाजपा तो कभी बसपा का कब्जा रहा है लेकिन इस सीट पर कभी समाजवादी पार्टी का उम्मीदवार नहीं जीत पाया है इस विधानसभा सीट पर लगभग 21 साल तक बहुजन समाज पार्टी का विधायक रहा है जिसमें कैबिनेट मंत्री दद्दू प्रसाद व चंद्रभान पटेल का नाम शामिल है उसके बाद 2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी आरके सिंह पटेल इस सीट से विधायक बने व 2019 के लोकसभा चुनाव में सांसद चुने जाने के बाद इस सीट से इस्तीफा दिया व उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी आनंद शुक्ला ने जीत दर्ज की वही सपा प्रत्याशी डॉ निर्भय सिंह पटेल कड़ी टक्कर देते हुए नजर आए लेकिन इस बार के बदले समीकरण को देखते हुए सभी चारों प्रमुख राजनीतिक दल अपने अपने प्रत्याशी को जिताने के लिए पुरजोर कोशिश करने लगे हैं ।
चित्रकूट से अपने चुनावी बिगुल को फूंकते हुए राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा अपनी दादी इंदिरा गांधी की याद ताजा कर गई जिसमें पाठा क्षेत्र की महिलाएं इस कार्यक्रम में बड़ी मात्रा में भाग लिया जो प्रियंका गांधी को देखते ही उनकी दादी इंदिरा गांधी को याद करने लगी ।
कद काठी व शक्ल सूरत से हूबहू अपनी दादी इंदिरा गांधी जैसी दिखने वाली प्रियंका गांधी को देखकर महिलाएं अपनी लगभग 3 दशक पुरानी यादों को फिर से ताजा करते हुए नजर आईं जिसको देखकर यह लगने लगा कि इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बड़ी चुनौती पेश करते हुए जीत हासिल करने का काम करेगा ।
बताते चलें कि प्रियंका गांधी वाड्रा की दादी व पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा बुंदेलखंड के पठारी क्षेत्र में पेयजल व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण कदम उठाए गए थे जिसमें वर्ष 1973 में पाठा जलकल की शुरुआत एक बड़ी उपलब्धि थी वही बड़ी मात्रा में बांधों व तालाबों का निर्माण कराया गया था जिससे किसानों को पानी व पेयजल संकट से निजात दिलाई गई थी।
उन्हीं यादों को ताजा करते हुए पाठा वासी इस बार के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के पाले में मतदान करने की जुगत भिड़ा रहे हैं अब देखना यह है कि क्या कांग्रेस प्रत्याशी जनता की उम्मीदों पर खरा उतर पाएंगे या फिर जनता का रुझान फिर किसी अन्य दल के प्रत्याशी की ओर चला जाएगा।
सुभाष चंद्र ब्यूरोचीफ भारत विमर्श चित्रकूट उ०प्र०