March 13, 2025

जाने किस आधार पर तय होती है जजों की वरिष्ठता

1 min read
Spread the love
नई दिल्ली:  सीनियर का दर्जा उच्च न्यायालय में खास तौर पर माना जाता है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि हाई कोर्ट के जजों के लिए यह बेहद संवेदनशील सजग मुद्दा रहा है क्योंकि इसके आधार पर ही उनके करियर में भविष्य की संभावनाएं तय की जाती हैं।जब हाई कोर्ट के जजों को बिना चीफ जस्टिस बने ही सुप्रीम कोर्ट भेज दिया गया, इसके बाद भी वरिष्ठता के सिद्धांत का यथासंभव पालन किया गया। सुप्रीम कोर्ट में किसी भी जज की वरिष्ठता उसके शपथ लेने के समय से तय होती है। यदि एक ही दिन कई जज शपथ लेते हैं तो जो पहले शपथ ग्रहण करता है, वह उसकी अपेक्षा ज्यादा वरिष्ठ कहलाता है।



शुक्रवार को उच्च न्यायालय के जज चीफ जस्टिस के खिलाफ विद्रोह करने वाले चार जजों में शामिल जस्टिस चेलामेश्वर को सुप्रीम कोर्ट भेजने में देरी की गई और यही वजह है कि उनके हाथ से चीफ जस्टिस बनने का मौका छिन गया।
बताते चलें कि 23 जून, 1997 को जस्टिस चेलामेश्वर को हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था। उनसे पहले सीजेआई दीपक मिश्रा को 17 जनवरी, 1996 को हाई कोर्ट जज बनाया गया था, जबकि खेहर को 8 फरवरी, 1999 को नियुक्ति मिली थी। लेकिन, जस्टिस चेलामेश्वर 3 मई, 2007 को ही गुवाहाटी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस हो गए। वहीं, चेलामेश्वर के काफी बाद में खेहर (29 नवंबर, 2009) और जस्टिस मिश्रा (23 दिसंबर, 2009) को चीफ जस्टिस बने थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *