December 13, 2025

अपने अंतिम चुनाव के लिए दिग्गज मैदान में…

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आशीष नामदेव

यहां एक तरफ लोग क्रिकेट वर्ल्ड कप के मैचों को देखने के लिए टिकटों की व्यवस्था में लगे हैं तो वहीं दूसरी तरफ चुनावी मैदान में उतरने के लिए नेता अपने टिकट की व्यवस्था में व्यस्त हैं। जैसा की भारतीय क्रिकेट टीम अपनी पूरी तैयारी के साथ वर्ल्ड कप में उतरी है वैसे ही मध्यप्रदेश में शासन कर रही राजनैतिक पार्टी इस साल अपने कई दिग्गजों को मैदान में लेकर आई है, साफ है कि मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री कौन बनेगा ? ये सवाल बार-बार मप्र विधानसभा 2023 के चुनाव को लेकर पूछा गया है। दो दशकों से शासन कर रही पार्टी को भी इस चुनाव में अगर अपने दिग्गजों के साथ मैदान में आना पड़ रहा है तो जाहिर है कि चुनाव में जीत को लेकर मन में शंका तो ज़रूर है जो कि पार्टी के लिए अच्छे संकेत भी हैं और लोगों के लिए भी। जब कभी ऐसा दौर आता है तो मानो कि सत्ता परिवर्तन का योग बन रहा हो, लेकिन उसमें भी किसी तरह अपना जाल बिछाकर सत्ता में बने रहना का सपना देखना गलत भी तो नहीं। लेकिन सवाल है कि आखिर ऐसा समय क्यों आया कि केंद्रीय मंत्रियों को भी विधानसभा चुनावों में उतारना पड़ गया ऐसा समय क्यों आया कि परिवार वाद खत्म करने का नारा लेकर अपने बेटों का टिकट काटकर बापों को ही चुनाव में उतरना पड़ रहा है। दुनिया भर के सर्वे इस वक्त ये कह रहे है कि सत्ता परिवर्तन होगा तो वहीं कई लोगों का ये कहना है कि कई सालों से भूखे बैठे नेताओं के हाथ में सत्ता नहीं आना चाहिए, अन्यथा वो पहले अपना पेट भरेंगे, उसके बाद जनता पर ध्यान देंगे। वैसे तो सत्ता का नशा ही लग होता है जैसे ही नेता के हाथ में सत्ता आ जाती है तो वो हाथ नहीं जोड़ता बल्कि लोग उसके हाथ जोड़ते हैं। फिलहाल मामला वर्ल्ड कप और चुनाव में बहुत गर्म होने वाला है, क्योंकि ये चुनाव सिर्फ विधानसभा तक सीमित नहीं रहेंगे ये वर्ष आने वाली पीढ़ी का है जो आने अगले चुनाव की तैयारी कर रहे है उन लोगों का है ये चुनाव हमें कई राजनेता देगा तो वहीं हम कई राजनेता खोने भी वाले हैं। जिन्होंने दशकों से शासन किया है उनके राजनैतिक भविष्य पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करने वाला ये चुनवा ज़रूर कुछ नया पन देने वाला है। प्रदेश का मुखिया कोई भी बने किसी भी पार्टी का बने लेकिन क्या वो पांच साल शासन करने में सक्षम होगा सबसे बड़ा सवाल इस बार दो मुख्य राजनैतिक पार्टियों के लिए ये अहम होगा। महिला वोटों की संख्या पुरुष वोटों के आस-पास होने से शासित पार्टी को लग रहा है कि वो वापिस सत्ता हासिल करेगी, तो वहीं केबीसी जैसे देश का सबसे लोकप्रिय खेल में मुखिया का नाम वादा खिलाफी में चुनाव के दौरान आना ठीक भी तो नहीं, खैर निर्णय जो भी आए ये चुनाव मध्यप्रदेश के लिए बहुत खास होने वाले हैं, क्योंकि लोग एक तरफ ये कहने से भी पीछे नहीं हट रहे कि सत्ता भले वापिस नहीं को दे दो लेकिन मुखिया बदल दो, शायद इसी कारण दिग्गजों को मैदान में लाया भी गया हो कि इनमें से किसी को मुखिया का चेहरा बनाया जा सके या सत्ता मिलते ही वादा खिलाफी हो जाए और मुखिया को ही मुखिया रहने दिया जाए क्योंकि फिलहाल केंद्रीय में कुछ खास जगह उन्हें दिख नहीं रही है जिसपर वो विराजमान होना चाहते हों, इसलिए उन्हें प्रदेश से ज्यादा लगाव है। तो दूसरी ओर राजघरानों से भरी दिग्गजों की पार्टी में मुखिया बनने की रेस में जीत के बाद कई नाम सामने आ सकते हैं लेकिन सवाल है पहले वो जीतें, परिवर्तन की लहर सर्वे में तो आ गई है लेकिन क्या वो इसे चुनाव जंग में उतार कर इसका फायदा उठा पाएंगे ये बड़ा सवाल निर्णय नहीं आने तक सबके मन में बना रहेगा, खास बात तो ये है कि मुख्य दो राजनैतिक पार्टी के अलावा अन्य पार्टी भी इस चुनाव में हिस्सा लेंगी जो बहुमत के गणित को बिगाड़ने का काम करेंगी, जिनका अहम रोल सिर्फ किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत से रोकना होगा, ताकि उनके साथ साझेदारी कर सत्ता में हिस्सेदारी मांग सके। बहुमत का गणित अगर बिगड़ता है तो गौर करने वाली बात ये है कि लोकसभा चुनाव के लिए एक साथ हुईं कई राष्ट्रीय पार्टी विधानसभा चुनाव में किसका साथ देंगी ? या प्रदेश में किसी और साथ देने वाली पार्टी राष्ट्र के लिए किसी और दल का साथ दे सकती है, खैर ऐसा होना थोड़ा कठिन है लेकिन असंभव कुछ भी नहीं है। विचारों के मतभेदों के नाम पर राजनीति में ऐसा करने से पीछे नहीं हटने वाली पार्टी भी इस चुनाव में देखने को मिलेगी। ये चुनाव राजनीति में कई नए पन्ने लिखने के लिए तैयार हो चुका है। इस चुनाव को अगर आप अच्छे से जानना चाहते हैं तो आप अमेरिका के प्रेसीडेंट के चुनाव को जान लें तो आप इस चुनाव की कई बारीकियों से वाकिफ हो जाएंगे। इस चुनाव में किसी भी रूप में भाग लेने वाले सभी लोग राजनीति के पन्नों में अमर होने वाले हैं, इसलिए 2023 के विधानसभा चुनाव भारतीय राजनीति का नया भविष्य लेकर आपके सामने आएगा, इसलिए इसे सिर्फ चुनाव के रूप में देखने की गलती न करें। राजनीति कैसे होती है ये सब कुछ ड्रामा आपको देखने को मिलेगा। इस चुनाव के बाद कई चेहरे आपको दोबारा नज़र नहीं आएंगे हां उनके बेटा-बेटी या परिवार के सदस्यों के नाम नज़र आ सकते हैं क्योंकि ये कई दिग्गज नेताओं का अंतिम चुनाव होने वाला है।

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