आपकी कुंडली में हो सकता है सत्ता योग, जानिए यहां
1 min readराजयोग की कुछ विशेष स्थितियां –
1. कुंडली में जब दशमेश और नवमेश का योग हो या दशमेश और नवमेश का रशिपरिवर्तन हो तो राजयोग बनता है।
2. जब दशमेश और लग्नेश का योग हो या दशमेश और लग्नेश का राशि परिवर्तन हो तो राजयोग बनता है।
3. जब दशमेश और पंचमेश का योग हो या दशमेश और पंचमेश का रशिपरिवर्तन हो तो राजयोग बनता है।
4. किसी भी केंद्र(1,4,7,10,) और त्रिकोण(1,5, 9) के स्वामियों का योग व रशिपरिवर्तन भी राजयोग बनाता है।
5. यदि शुक्र कुंडली के बारहवे भाव में बलि होकर स्थित हो तो वह भी राजयोग देता है।
6. केवल त्रिकोण (अर्थात पहला, पांचवा, नवा) के स्वामियों का रशिपरिवर्तन या साथ बैठना भी राज योग बनाता है।
7. बृहस्पति और चन्द्रमाँ के योग से बना “गजकेशरी” योग यदि त्रिकोण या दसवें, ग्यारहवे स्थान में बने तोराजयोग प्रदान करता है।
8. भाग्येश और शुक्र एक साथ उच्च राशि में होने से बनालक्ष्मी योग भी राजयोग देता है।
9. बृहस्पति यदि लग्न में स्व या उच्च राशि में हो तो राजयोग देता है।
10. यदि चन्द्रमाँ लग्न कुंडली और नवमांश कुंडली दोनों में उच्च राशि ( वृष ) में हो तो वह भी राजयोग देता है।
11. यदि शुक्र स्व या उच्च राशि में होकर केंद्र में बैठा हो तो इससे भी राजयोग बनता है।
12. शनि के केंद्र (1,4,7,10 भाव) में स्व उच्च राशि (मकर, कुम्भ तुला) में होने से बना शश योग भी राजयोग समान ही माना गया है।
13. यदि लग्नेश बहुत बली (स्व उच्च राशि में) होकर केंद्र में स्थित हो तो यह अकेला योग भी बहुत समृद्धिदायक माना गया है।इस प्रकार कुछ विशेष ग्रह-योग व्यक्ति को राजयोग देकर उसे धन, संपत्ति,ऐश्वर्य,वैभव, उच्च-पद, प्रतिष्ठा, मान और सम्मान देकर एक विशेष व्यक्ति के रूप में विख्यात करते हैं।