चाँद नजर आते ही 7 या 8 मार्च से अजमेर में शुरू हो जाएगा ख्वाजा का उर्सपाक
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अजमेर: सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 807 वें सालना उर्स की मजहबी रसूमात चांद दिखने के साथ 7 मार्च या 8 मार्च से शुरू हो जाऐंगी.
दरगाह के सचिव एस ए चिश्ती ने 807 वें उर्स का कार्यक्रम जारी करते हुए बताया कि 7 मार्च या ८ मार्च को चांद दिखने के बाद दरगाह स्थित महफिल खाने में उर्स की पहली महफिल होगी. महफिल खाने में आयोजित यह रस्म उर्स में होने वाली प्रमुख धार्मिक रस्मों में से एक रस्म है. इस प्रोग्राम में दरगाह दीवान, देश की विभिन्न खानकाहों के सज्जादानशीन, सूफी, मशायख सहित खासी तादाद अकीदतमंद मौजूद रहेंगे.
महफिल के दौरान मध्य रात्री दीवान साहब उर्स के दौरान ख्वाजा साहब के मजार पर आयोजित होने वाली गुस्ल की प्रमुख रस्म करने आस्ताना शरीफ में जाऐंगे जहां उनके द्वारा मजार शरीफ को केवड़ा व गुलाब जल से गुस्ल देंगे. उसके बाद चंदन पेश किया जाऐगा. जिसके बाद उर्स का आगाज हो जायेगा.
5 रजब को दीवान साहब के सदारत में ही खानकाह शरीफ में दोपहर 3 बजे कदीमी महफिले समा होगी जो शाम 6 बजे तक चलेगी जिसमें देशभर की विभिन्न प्रमुख दरगाहों के सज्जादानशीन एवं धर्म प्रमुख भाग लेंगे महफिल के बाद यहां विशेष दुआ होगी और दीवान साहब दस्तूर के मुताबिक देश के समस्त सज्जादगान की मोजूदगी में गरीब नवाज के 807 वे उर्स की पूर्व संध्या पर खानकाह शरीफ से मुल्क की अवाम व जायरीने ख्वाजा के नाम संदेश (दुआनामा) जारी करें.
उर्स के समापन की रस्म कुल की रस्म के रूप में 6 रजब को होगी जिसके तहत प्रातः महफिल खानें में कुरआन ख्वानी होगी. उसके बाद 11 बजे कुल की महफिल का आगाज होगा और कव्वालों द्वारा रंग और बधावा पढ़ा जाऐगा तथा दोपहर 1 बजे मोरूसी फातेहाखां द्वारा फातेहा पढ़ी जाऐगी.
कुल की रस्म के बाद देशभर से आऐ फुकरा (फकीर) दागोल की रस्म अदा करगे जिनके सरगिरोह की दस्तारबंदी की जाएगी. कुल रस्म के साथ गरीब नवाज के 807 वें उर्स का ओपचारिक रूप से समापन हो जाऐगा.