CAG राजीव महर्षि सौदे का हिस्सा, ऑडिट से हो अलग: कपिल सिब्बल
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दिल्ली: राफेल डील को लेकर कांग्रेस ने अब एक नई मांग रखी है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक राजीव महर्षि 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के करार की ऑडिट प्रक्रिया से सरकार उनको को अलग करे. कपिल सिब्बल ने कहा कि क्योकि महर्षि उस समय तत्कालीन वित्त सचिव के तौर पर वह उस वार्ता का हिस्सा थे इसलिए उन्हें ऑडिट प्रक्रिया से खुद को अलग कर लेना चाहिए.’ कांग्रेस ने यह भी कहा है कि महर्षि द्वारा संसद में राफेल पर रिपोर्ट पेश करना अनुचित होगा.
उन्होंने कहा कि अधिकारियों को ध्यान रखना चाहिए कि चुनाव आते जाते हैं, कभी हम विपक्ष में होते हैं और कभी सत्ता में होते हैं. हम ऐसे अधिकारियों पर नजर रखेंगे जो पीएम मोदी के प्रति अपनी वफादारी साबित करने की कोशिश कर रहे हैं.
कपिल ने कहा कि ने मोदी सरकार ने 36 राफेल विमानों की खरीद में राष्ट्रहित और राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया है. और सीएजी का संवैधानिक और वैधानिक कर्तव्य है कि वह राफेल करार सहित सभी रक्षा अनुबंधों का फरेंसिक ऑडिट करे.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने पत्रकारों को बताया कि महर्षि सोमवार को संसद में राफेल करार पर रिपोर्ट पेश कर सकते हैं. कांग्रेस ने कहा कि महर्षि 24 अक्टूबर 2014 से लेकर 30 अगस्त 2015 तक वित्त सचिव थे और इसी दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 अप्रैल 2015 को पैरिस गए और राफेल करार पर दस्तखत की घोषणा की.
उन्होंने बताया कि ‘वित्त मंत्रालय इन वार्ताओं में अहम भूमिका निभाता है. अब स्पष्ट है कि राफेल करार राजीव महर्षि के इस कार्यकाल में हुआ. अब वह सीएजी के पद पर हैं. हमने 19 सितंबर 2018 और चार अक्टूबर 2018 को उनसे मुलाकात की. हमने उन्हें घोटाले के बारे में बताया. हमने उन्हें बताया कि करार की जांच होनी चाहिए क्योंकि यह भ्रष्ट तरीके से हुआ. लेकिन वह अपने ही खिलाफ कैसे जांच करा सकते हैं?’ सिब्बल ने कहा कि वह पहले खुद को और फिर अपनी सरकार को बचाएंगे.