June 29, 2024

भीम कोरेगांव केस में महाराष्ट्र पुलिस ने कहा पुख्ता सबूत हैं

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नई दिल्ली: महाराष्ट्र पुलिस ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि भीम कोरेगांव हिंसा के सिलसिले में 5 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी “संदिग्ध सबूत” और प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादियों) के साथ उनके संबंध पर आधारित थी.

वरवरा राव, अरुण फेरेरा, वेरनन गोंसाल्व्स, गौतम नवलाखा और सुधा भारद्वाज की गिरफ्तारी पर एक हलफनामा दायर करते हुए पुलिस ने कहा कि उन्हें सरकार के खिलाफ असंतोषजनक राय के कारण गिरफ्तार नहीं किया गया था, ये लोग प्रतिबंधित कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) के सक्रिय सदस्य हैं.

पुलिस ने कहा है कि गिरफ्तार लोगों के पक्ष में याचिका दाखिल करने वाले लोग सिर्फ अपनी धारणा का हवाला दे रहे हैं. उन लोगों की धारणा है कि गिरफ्तार लोग ‘सामाजिक कार्यकर्ता’ हैं. वो देश के खिलाफ साजिश नहीं कर सकते. लेकिन पुलिस की कार्रवाई किसी धारणा पर नहीं, ठोस सबूतों पर आधारित है.

पुलिस ने कहा कि अभियुक्त व्यक्तियों के मेमोरी कार्ड से कंप्यूटर, लैपटॉप, कलम ड्राइव के जांच से पता चलता है की ये लोग देश में बड़े पैमाने पर हिंसा और अराजकता फैलाने की साज़िश रच रहे थे. महाराष्ट्र पुलिस ने सीलबंद लिफाफे में सबूत कोर्ट को सौंपे हैं और आग्रह किया है कि उन्हें देखने के बाद कोर्ट कोई फैसला ले.

क्या है मामला
1 जनवरी 2018 को महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में बड़े पैमाने पर जातीय हिंसा फैली थी. मामले की जांच के दौरान पुणे पुलिस ने पाया कि घटना देश में अस्थिरता फैलाने की बड़ी माओवादी साज़िश का हिस्सा है. जांच के दौरान गिरफ्तार कुछ लोगों के पास से मिले सबूतों के आधार पर 28 अगस्त को 5 सामाजिक कार्यकर्ताओं गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वरनॉन गोंजाल्विस, वरवरा राव और अरुण परेरा को देश के अलग-अलग शहरों से गिरफ्तार किया गया.

29 अगस्त को इतिहासकार रोमिला थापर समेत पांच लोगों ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. अभिषेक मनु सिंघवी, प्रशांत भूषण, दुष्यंत दवे जैसे बड़े वकील कोर्ट में पेश हुए और कहा कि सरकार लोकतंत्र का गला घोंट रही है. अपने से अलग विचार रखने वालों को निशाना बना रही है. सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तार लोगों को पुलिस रिमांड में भेजे जाने पर रोक लगा दी. कोर्ट ने कहा कि फिलहाल सबको उनके घर पर ही नज़रबंद रखा जाए.

 

पुणे पुलिस ने आज उनलोगो को हिरासत में सोपने कि मांग की. पुलिस का कहना है कि इन लोगों को घर पर नज़रबंद रखने से जांच प्रभावित हो रही है. ये लोग घर पर रह कर भी दूसरों के संपर्क में हैं. इस तरह सबूतों को मिटाने का काम कर सकते हैं. इनकी हिरासत तुरन्त पुलिस को दी जाए. कोर्ट में कल इस मामले की सुनवाई करेगा.

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