
विवेक चतुर्वेदी
…आएगा बड़ा दिन तो
गिरजा जाएंगे
शहर की छाती पे सलीब बनाएंगे
पिता परमेश्वर को अपनी रोटी में बुलाएंगे
शाम घर आया जैकब
तो आरती में खड़ा हो जाएगा
डेविड कथा की पंजीरी को ललचाएगा
दोनों चूसेंगे गन्ने ग्यारस के
छुएंगे तुलसी हाथ माथे से लगाएंगे…
“किसी बिरहमन ने कहा है दोस्त होगा ये बरस” से एक अंश …
