December 5, 2025

क्या होता है इंसान

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तिनका तिनका चल पड़ा वो
इक खिलौना हाथ में पकड़े
रोता हुआ सिसक सिसक कर
युद्ध का प्रतिफल जकड़े।।।

दाना उसको देती थी माँ
गोदी में सहलाकर
उस माँ का धुआँ तो उड़ गया है
इक धमाके में लहराकर…..
कंधे में भी घूमा पिता के
बचपन वो अनजान
आज धरा पर लथपथ बैठा
कैसे बचाए जान????

गलती उसकी बस इतनी थी
फ़लाँ देश में रहता था
अब तक तो हर दर्द को उसके
देव पिता ही सहता था….
देव हुए अब माँ बाप भी
इस जंग की दावानल में
देश हुआ है धुआँ धुआँ सा
इस नफ़रत की अनल में

चारों ओर मचा मातम है
लपटें भी चहु ओर हैं
नव अनाथ के जीवन का पर
ना ओर कोई ना छोर है।।

कहा जाए ये समझ ना पाता
पल में रुवण बिगुल बजाता
पगलाया सा फिरता हुआ
नन्हा सा शैतान
शायद जल्द ही समझेगा वो
क्या होता इनसान

डॉ० दीपक शर्मा एनेस्थीसिया स्पेसलिस्ट

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