किसान विरोधी बिल के खिलाफ गुनौर के किसान विशाल जन समूह के साथ एसडीएम दफ्तर के सामने किया प्रदर्शन, सौंपा ज्ञापन…
1 min readगुनौर। भारतीय राजनीत में यह पहली बार हुआ है कि किसी सरकार ने किसानों के हितों को साधने के लिए बिना किसी बहस और किसानों की सहमति के बिना तीन कृषि अध्यादेश पारित कर दिए गए हैं जिनकी तनिक भी भनक किसानों को नहीं है किसान विरोधी बिल में एमएसपी को दरकिनार करते हुए अपनी तानाशाही रवैया के चलते जो अध्यादेश लागू किया जा रहा है उसमें किसान काफी परेशान हो जाएंगे । जमाखोरी रिश्वतखोरी कालाबाजारी व किसानों के साथ धोखाधड़ी आने वाले दिनों में इस बिल के माध्यम से होने लगेगी । किसान लुटने और मरने को मजबूर हो जाएगा । जिसकी जिम्मेदारी ना तो किसी सरकार की होगी और ना ही किसान किसी न्यायालय में अपना दावा और वाद प्रस्तुत कर सकेगा यानी कुल मिलाकर किसानों के ऊपर इस हिटलर शाही रवैए के चलते किसानों के साथ लूट खसोट जारी रहेगी और पूंजीवाद चरम सीमा लांघते हुए भारतीय कृषि की प्रधानता को नेस्तनाबूद कर देगा । जिसके खिलाफ आज तहसील परिसर गुनौर के सामने भारी संख्या में भारतीय किसान यूनियन संघ के जिला अध्यक्ष बसंत लाल पटेल , सेवालाल पटेल , किसान क्रांति सेना के संभागीय अध्यक्ष शंकर पटेल व सैकड़ों किसानों ने उपस्थित होकर सोमवार दोपहर 12 बजे से 4 बजे तक केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानून के विरोध में नुक्कड़ सभा के माध्यम से विशाल सभा आयोजन किया गया जिसके पश्चात सभी किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम अनुविभागीय अधिकारी राजस्व गुनौर सुरेश कुमार गुप्ता को 4 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा । ज्ञापन में नाराज आक्रोशित किसानों ने कहा कि देश के सभी प्रदेशों के किसानों द्वारा दिल्ली मे दिनांक 26/11/2020 से 3 कृषि अध्यादेशो के विरोध में लगातार शांति पूर्ण आन्दोलन कर रहे किसानो के ऊपर केन्द्र सरकार द्वारा लाठीचार्ज पानी की बौछारे आशू गैस एवं मुकदमे दर्ज कर आन्दोलन को कुचलने की कोशिश की जा रही है।
ज्ञापन में भारतीय किसान यूनियन किसानों के आन्दोलन का समर्थन करते हुए कहा कि मांगे पूरी नहीं होने पर हम लोग भी दिल्ली पहुंच कर किसानों का समर्थन करेंगे।
ज्ञापन में किसानों ने मांग करते हुए कहा कि फारमर्स प्रोड्यूस ट्रेड एण्ड कामर्स आर्डिनेंस इस अध्यादेश के जरिये व्यापारी मंडी के बाहर कही भी किसानो के घरों अथवा मंडी के बाहर कही भी खरीद कर सकता है जिससे मंडियो में आने वाला टैक्स खत्म हो जायेगा तथा किसानो को उचित मूल्य मिलना संभव नही होगा। मंडी व्यावस्था पूर्ण रूपेण खत्म हो जायेगी और विचौलियो का बोलबाला हो जायेगा। तो वही दूसरे अध्यादेश के जरिये एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट 1955 को खत्म कर व्यापारियो के स्टाक करने की क्षमता अनलिमिटेड कर दिया जिससे बड़े व्यापारी घराने देश के संपूर्ण अनाज का भण्डारण कर और उसमे आगे ब्लैक मार्केटिंग करने का रास्ता खुल जायेगा। इस अध्यादेश से किसानों एवं उपभोक्ताओ दोनों कि खुली लूट होगी। फारमर्स एग्रीमेन्ट आन प्राइस एस्सुरेस एण्ड फॉर्म ऑर्डिनेंस इस अध्यादेश के जरिये काटैक्ट फॉर्मिंग को आगे किया जाएगा जिसमे किसान अपनी ही जमीन पर मजदूर बनकर रह जाएगा इसमे कांटैक्ट फार्मिग की गाइडलाइन की गई है। जिसमें फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य का किसी प्रकार का जिक्र नही किया गया है। किसानो की पंचायत में पारित प्रस्ताव के जरिये से यह तीनो किसान विरोधी अध्यादेशो को वापस लिये जाने की मांग करते है। न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून के दायरे में लाया जावे। समर्थन मूल्य से कम पर खरीद करने वालो पर कानूनी कार्यवाही हो।
संदीप विश्वकर्मा (ब्यूरोचीफ), भारत विमर्श पन्ना