यूपी के बिजली कर्मचारियों ने की हड़ताल, 36 मंत्रियों के घर में अंधेरा
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उत्तर प्रदेश के कई इलाके सोमवार को अंधेरे में डूबे रहे जिसकी वजह से लाखों लोगों को परेशानियों को सामना करना पड़ा। ये सारी परेशानी बिजली कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने के कारण हुई, ये सभी बिजली विभाग के निजीकरण किए जाने के प्रस्ताव के विरोध में हड़ताल कर अपना विरोध जता रहे हैं। सोमवार को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की सरकार से वार्ता फेल रही, जिसके बाद समिति ने आज प्रदेश में आंदोलन का ऐलान किया है, जिसमें अलग-अलग जिलों से लगभग 25 हजार कर्मचारी विरोध प्रदर्शन करेंगे।
जानकारी के मुताबिक सोमवार शाम ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के साथ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों की बैठक हुई थी, जिसमें ऊर्जा मंत्री ने निजीकरण का प्रस्ताव वापस लेने की घोषणा की और सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए, हालांकि यूपीपीसीएल और विद्युत कर्मचारियों के बीच अभी सहमति नहीं बन पाई है।
वहीं हड़ताली कर्मचारियों का कहना था कि सरकार ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए बिजली विभाग को निजी हाथों में जो सौंपने का फैसला किया है, वो सही नहीं है। सरकार और समिति के बीच पिछले 5 अप्रैल 2018 को हुए समझौते का पालन किया जाए।
दरअसल, 5 अप्रैल 2018 को राज्य सरकार और बिजली विभाग के कर्मचारियों के संगठनों के बीच ऊर्जा प्रबंधन के साथ एक समझौता किया गया था। जिसमें कहा गया था कि निजीकरण से संबंधित कोई भी निर्णय लेने से पहले सरकार कर्मचारियों को विश्वास में लेगी और बिना विश्वास में लिए कोई भी फैसला नहीं करेगी।
मंत्रियों के घर भी छाया अंधेरा
राजधानी लखनऊ में उपमुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री समेत कुल 36 मंत्रियों के आवास में बिजली की सप्लाई नहीं हो पाई। सभी मंत्रियों के घर में अंधेरा छाया रहा, इसके अलावा हजारों घरों में भी पावर सप्लाई नहीं हो सकी। ऐसे में अंधेरा होने के चलते लोग सड़कों पर रात को टहलते दिखे।