गुरु-चेले की नींद उड़ने वाली है: मायावती
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लखनऊ: 25 साल बाद एक बार फिर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी एक साथ खड़ी है. आज शनिवार को सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा मुखिया मायावती ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यूपी लोकसभा चुनाव साथ लड़ने का एलान कर दिया. उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा सीटों में से 38-38 पर सपा-बसपा ने चुनाव लड़ने का फैसला किया. वही दूसरी ओर इस गठबंधन से कांग्रेस को बाहर रखा गया है, मगर गांधी परिवार के परंपरागत गढ़ अमेठी और रायबरेली में सपा-बसपा गठबंधन ने उम्मीदवार नहीं उतारने की बात कही, साथ ही मायावती ने कहा कि बाकी 2 सीटें अन्य दलों के लिए रखी गई हैं. मायावती ने कहा कि जिस तरह 1993 में हमने साथ मिलकर बीजेपी को हराया था, वैसे ही इस बार उसे हराएंगे.
मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान 2 बार काफी जोर देकर 1995 के गेस्ट हाउस कांड का जिक्र किया और कहा कि उनकी पार्टी ने जनहित के लिए उसे भूलकर सपा के साथ गठबंधन का फैसला किया है. उन्होंने कहा, ‘लोहिया जी के रास्ते पर चल रही समाजवादी पार्टी के साथ 1993 में मान्यवर कांशीराम और मुलायम सिंह यादव द्वारा गठबंधन करके चुनाव लड़ा गया था. हवा का रुख बदलते हुए बीजेपी जैसी घोर सांप्रदायिक और जातिवादी पार्टी को हराकर सरकार बनी थी. लखनऊ गेस्ट हाउस कांड से ऊपर जनहित को रखते हुए एक बार फिर देश में उसी तरह के दूषित और साम्प्रदायिक राजनीति को हराने के लिए हाथ मिलाया है.’
मायावती ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह यानी गुरु-चेले की नींद उड़ने वाली है. उन्होंने कहा कि 1990 के आस-पास बीजेपी के जहरीले माहौल की वजह से आम जनजीवन प्रभावित था और जनता त्रस्त थी. आज भी वैसा ही माहौल है और हम एक बार फिर उन्हें हराएंगे.
मायावती ने इस गठबंधन को नई राजनीतिक क्रांति का आगाज बताया. उन्होंने कहा, ‘नए वर्ष 2019 में यह एक प्रकार की नई राजनीतिक क्रांति की शुरुआत है. गठबंधन से समाज की बहुत उम्मीदें जग गई हैं. यह सिर्फ 2 पार्टियों का मेल नहीं है बल्कि सर्वसमाज का मेल है. यह सामाजिक परिवर्तन और मिशनरी लक्ष्यों को प्राप्त करने का आंदोलन बन सकता है.’
मायावती ने कांग्रेस को गठबंधन से बाहर रखने की वजह भी बताई. उन्होंने कहा, ‘आजादी के बाद काफी लंबी अवधि तक केंद्र और देश के ज्यादातर राज्यों में कांग्रेस ने एकछत्र राज किया, लेकिन जनता परेशान रही. गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार बढ़ा, जिसके खिलाफ कई दलों का गठन हुआ. ऐसे में केंद्र में सत्ता चाहे कांग्रेस के हाथ में आए या बीजेपी के हाथ में, बात एक ही है. दोनों की नीतियां एक जैसी. दोनों की सरकारों में रक्षा सौदों में घोटाले हुए. बोफोर्स से कांग्रेस को सरकार गंवानी पड़ी और बीजेपी को राफेल की वजह से सरकार गंवानी पड़ेगी.’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों की सरकारें विरोधियों का उत्पीड़न करती हैं. मायावती ने कहा कि कांग्रेस के साथ अतीत में गठबंधन का अनुभव भी अच्छा नहीं रहा है और वह अपना वोट ट्रांसफर नहीं करा पाती है.