April 30, 2024

आरएसएस देश में 1992 जैसा माहौल बना रही है- वली रहमानी

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-फैजुर रहमान

ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अयोध्‍या में राम मंदिर के निर्माण के लिये वर्ष 1992 जैसा माहौल बनाये जाने की बात कही गयी है. उन्होंने आरएसएस के मंसूबे पर सवाल उठाया और कहा की ये देश के लिए ख़तरनाक है. मंदिर को लेकर अचानक तेज हुई गतिविधियां पूरी तरह राजनीतिक हैं.

एआईएमपीएलबी के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर हिन्‍दूवादी संगठनों की अचानक तेज की गयी गतिविधियों के बारे में कहा कि जहां तक मंदिर निर्माण को लेकर तथाकथित हिन्‍दूवादी संगठनों में बेचैनी का सवाल है, तो साफ जाहिर है कि यह सियासी है. आगामी लोकसभा चुनाव को सामने रखकर यह दबाव बनाया जा रहा है. लेकिन वे संगठन दरअसल क्‍या करेंगे, अभी तक इसका सही अंदाजा नहीं है.

संघ ने कहा था की आज जरुरत है की देश में मंदिर निर्माण को लेकर 1992 जैसे आंदोलन को दोहराया जाए.वली रहमानी ने इस ओर इसारा करते हुआ कहा कि संघ अगर आंदोलन शुरू करता है तो यह बहुत खतरनाक होगा. इससे मुल्‍क में अफरातफरी का माहौल पैदा हो जाएगा. इस आशंका का कारण पूछे जाने पर उन्‍होंने बताया कि वर्ष 1992 में हिन्‍दुओं और मुसलमानों के बीच नफरत इतनी ज्‍यादा नहीं थी. हाल के सालों में दोनों के बीच खाई बहुत गहरी हो गयी है.

विश्‍व हिन्‍दू परिषद, अंतरराष्‍ट्रीय हिन्‍दू परिषद समेत तमाम हिन्‍दूवादी संगठनों और साधु-संतों के जरिए मंदिर निर्माण के लिये अध्‍यादेश लाने या कानून बनाने को लेकर सरकार पर दबाव बनाये जाने के बारे में पूछे गये सवाल पर मौलाना रहमानी ने कहा कि कुछ कानूनविदों के मुताबिक इस मसले पर अभी कोई अध्‍यादेश या संसद का कानून नहीं आ सकता. अब सरकार क्‍या करेगी और उसके क्‍या नतीजे होंगे, यह नहीं कहा जा सकता.

मौलाना वली रहमानी ने यह भी कहा कि हाल में सेवानिवृत्‍त हुए न्‍यायमूर्ति जे. चेलमेश्‍वर ने चंद दिन पहले मुम्‍बई में एक कार्यक्रम में कहा था कि मंदिर निर्माण को लेकर अध्‍यादेश लाना या संसद से कानून पारित कराया जाना नामुमकिन नहीं है. बोर्ड का शुरू से ही स्‍पष्‍ट नजरिया है कि आपसी सहमति से मसला हल करने की तमाम कोशिशें नाकाम होने के बाद वह अयोध्‍या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को ही मानेगा.

जमीयत उलमा-ए-हिन्‍द, उत्‍तर प्रदेश इकाई के अध्‍यक्ष मौलाना अशहद रशीदी ने कहा कि अयोध्‍या मामले को लेकर तेज हुई गतिविधियों पर उनका एक ही जवाब है कि मामला अदालत में है इसलिये सभी को सब्र से काम लेते हुए अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिये. उसका जो भी निर्णय हो, उसे कुबूल करना चाहिये. मुल्‍क में अमन और सलामती इसी तरह रहेगी. उन्‍होंने कहा कि हठधर्मिता से देश को नुकसान होगा. हमारी अपील है कि इस मामले में जज्‍बात से काम न लेकर हालात की नजाकत को समझते हुए काम किया जाए.

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