किसान आंदोलन: सरकार मस्त किसान पस्त
1 min readसबलोक कुमार सिंह
दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में सरकार और पुलिसिया कार्यवाही सरकार की नाकामयाबी को दर्शाता है .सरकार जहाँ एक तरफ अपनी उपलब्धि गिनाते नहीं थकती वही किसान आज अपनी समस्याओ से.
किसानों का यह आंदोलन हरिद्वार से चलकर दिल्ली और बॉर्डर तक सजी थी. किसानों का यह आंदोलन किसानों के लिए तो सफल था लेकिन उनके द्वारा अधिकतर मॉंग सरकार नहीं मानी. मंगलवार की दोपहर किसानों और पुलिस में भयंकर झड़प हुई इसमें कई किसान घायल हुए.पुलिस द्वारा इनपर लाठिया ,आँसू गैस के गोले और पानी की बौछार बरसाए गए.
देर रात सरकार के प्रतिनिधि और किसानों को समझाने के बाद इन्होने अपने आंदोलन को भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत द्वारा किसानघाट पर फूल चढ़ाकर समाप्त किया. इनकी मांगे क़र्ज़ माफ़ी,गन्ना भुगतान,फसल बीमा, पेंशन समेत और कई जायज मांगे थी जिसमे अधिकतर को नहीं माना गया.
सबसे बड़ा सवाल यही है की कब तक किसान अपने हालत और अपनी व्यथा को आंदोलनो के माध्यम से करते रहेंगे. मसलन हमारे अणदाता है किसान और किसान है, तभी हमारा राष्ट्र कृषि प्रधान है .सरकार को अपनी स्थिति और रुख स्पष्ट करना होगा जिससे ये राष्ट्र और समाज को एक नयी दिशा दे सके.