चित्रकूट में साधु संतों की होली
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चित्रकूट — पूरे देश में होली के त्यौहार को लेकर लोगों में जबरजस्त उत्साह देखने को मिल रहा है, ऐसे में ब्रज की होली के बाद भगवान श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट धाम में भी दो दिन पहले से ही साधु संतों द्वारा होली खेलकर होली की शुरुवात कर दी गई है।और चित्रकूट रामघाट स्तिथ यज्ञ वेदी मंदिर मे सभी अखाड़ों के साधु संतो द्वारा अबीर ग़ुलाल के साथ फूलों की होली खेली गई। इसके पूर्व साधु संतो द्वारा सबसे पहले रामघाट मे अपने अपने अखाड़ों के निशान की पूजा कर हाथी घोड़े बैंड बाजे के साथ शोभा यात्रा निकाली गई। बाद में यज्ञ वेदी मंदिर मे आयोजित होली मिलन समारोह कार्यक्रम मे साधु संतो द्वारा एक दूसरे को रंग ग़ुलाल लगाकर फूलों की वर्षा करते हुए होली के फाग के गीत गाकर होली मनाई गई। साथ ही श्रद्धांलुओं को भाँग ठंडइ पिलाई गई। इस दौरान साधु संत होली के रंग मे जमकर रंगे हुए नजर आये है। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री राम जब वनवास काल में चित्रकूट आए थे तब उन्होंने पहली होली संतों के सानिध्य मे मनाई थी। तभी से यह होली मिलन कार्यक्रम चल रहा है।और आज भी साधु संतों द्वारा शोभायात्रा निकालकर कर अबीर गुलाल और फूलों की होली खेली जाती है।गौर तलब है कि ब्रज में जो होली मनाई जाती है वह प्रत्यक्ष रूप से मनाई जाती है,जबकि चित्रकूट और अयोध्या की होली अप्रत्यक्ष रूप से मनाई जाती है। ब्रज में होलिका अन्याय का दमन करने के लिए प्रकट हुई थी, और होलिका दहन हुआ था इसलिए वहां से मनाई जाती है,जबकि यहां अप्रत्यक्ष रूप से सभी जगह मनाई जाती है। अन्याय का दमन, न्याय का उत्थान, धर्म की स्थापना और अधर्म का नाश यही सभी त्योहारों का उद्देश्य है, इसीलिए होली के दिन रंग गुलाल लगाकर एक दूसरे को गले लगाकर होली मनाते है।यही हमारी एकता और सनातन का उदेश्य है।


जावेद मोहम्मद विशेष संवाददाता भारत विमर्श चित्रकूट मध्य प्रदेश