May 8, 2024
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विवेक चतुर्वेदी

सूर्य! अपने घर जाओ
तो जरा मेधा प्रकाशित हो।

चन्द्रमा! तुम मत आओ
तो जरा आज कविता बहे।

सितारों! तुम टल जाओ
तो सुर में संगीत उठे।

निहारिकाओं! तुम विदा लो
तो मन कोई गीत बुने।

आज मन है कि बस…
धरती और आदमी की बात हो।।

सुप्रसिद्ध कवि देवीप्रसाद मिश्र की
“प्रार्थना के शिल्प में नहीं” की जमीन पर।

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