December 4, 2024

कण-कण की सहभागिता से शून्य से शिखर की ओर बढ़ता भारत

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India famous travel tourist landmark and symbol - Red Fort (Lal Qila) Delhi with Indian flag - World Heritage Site. Delhi, India

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आज स्वतंत्र भारत 72 वर्ष का हो गया। भारत को युवा भारत कहा जाए या फिर अनुभवी भारत यह एक प्रश्न हो सकता है या फिर उसकी विशालता बताने का जरीया भी हो सकता है। जिस देश की अखंडता उसकी विविधता में बसती है, और अपने नए-नए पहलूओं से इस देश के साथ दुनिया को भी अचंभित करता है, इसकी जड़ता इसकी सांस्कृतिक विरासत के साथ लोकतांत्रिक धरोहर को सहेजकर आगे बढ़ाने का काम करती है। भारत भूमि ऋषियों, मनीषियों, संतों, फकीरों, सूफियों की भूमि थी और आज भी वो उसकी आत्मा के साथ जीवित है। इन सबके बावजूद आज का भारत युवा भारत, सोच और जोश से लबरेज, संचार युक्त आधुनिक भारत है। हमारी क्षमता, हमारी गुणवत्ता इन 72 सालों में बढ़ी है। भारत बनाम इंडिया हमारी कमियां नहीं है, बल्कि यह उस भारत की संकल्पना है जो परिपक्व लोकतंत्र की जड़ों को निरंतर अपने विकास प्रगति से आगे मजबूत बनाने में अग्रसर है। भारत में विकास की यह लकीर न तो किसी एक सरकार की देन है, न एक धर्म की देन है, न तो यह मात्र एक सोच की देन है। यह प्रगति, भारत की साझा सांस्कृतिक विरासत से उपजी एकता की देन है। यहां की मिट्टी कबीर, तुलसीदास, सूरदास रहीम के विचारों से सींची गई है। यहां महारणा प्रताप, शिवाजी, गुरू अर्जुन सिंह की वीरता की गाथा है तो अशोक के शासक से संत बनने का मार्ग भी है, अकबर द्वारा हिंदुस्तानी संस्कृति को एक करने का प्रयास भी है। यह भूमि महात्मा गांधी के अहिंसा और सत्याग्रह के लिए प्रसिद्ध है तो फ्रंटियर गांधी के नाम से मशहूर खान अब्दुल गफ्फार खान, मौलाना अबुल कलाम आजाद, डॉ जाकिर हुसैन के संघर्षों के लिए भी याद की जाती है। यह भगत के साथ अशफाक के बलिदानों की भी भूमि है। यह जवाहर लाल से सरदार पटेल के संघर्षों और सहयोग से खड़ा किया गया भारत है। भारत अटल बिहारी वाजपेयी और डॉ अब्दुल कलाम आजाद की सोच से बना भारत है।
आजादी के 72 वें साल में यदि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बनकर उभरा है तो इसने संघर्ष की अनेक कसौटियों को पार भी किया, आजादी के बाद से भारत ने कई जख्म भी झेले हैं, दंगों का, आतंकवाद का, नक्सलियों, माओवादियों के प्रहार ने भारत की आत्मा को घायल किया। इन चोटों ने न सिर्फ भारत की एकता को प्रभावित किया, बल्कि आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक विकास को भी प्रभावित किया है। इसके साथ ही भारत में सामाजिक पिछड़ापन और जाति व्यवस्था ने भारत को पंगु बनाने का काम किया। इससे सामाजिक न्याय और समानता के साथ-साथ भारत की आर्थिक प्रगति को भी बाधित हुई। आज भारत की स्थिति यह है कि भारत की राजनीति विकास के दीवास्वप्न को दिखाकर इन मुद्दों के सहारे सत्ता का रास्ता नाप रही है, फिर भी विकास की सही लकीर खींचने का काम नहीं हो पा रहा है। हमने वादों और दावों का भारत देखा और रक्तरंजित भारत भी देखा है। इन सबकी चोट के बाद भी भारत संभला और खड़ा होकर विकास की धारा में शामिल है। लेकिन बदलते भारत के साथ उसे कई संघर्षों से गुजरना है, जिसमें गरीबी, अशिक्षा, भूखमरी जैसी मूलभूत समस्याओं के साथ-साथ नई-नई समस्याओं जैसे साइबर क्राइम, एजेंडा मैनेजमेंट, सोशल साइट अफवाहें भी हैं। भारत में किसान, नारी सशक्तिकरण भी एक चिंता विषय रहा है। किसानों की आत्महत्या, मजदूरों का शोषण, बलात्कार पर भारत की चुप्पी उसे पीछे धकेलने का काम कर रही है। इस पर सरकार और जनता दोनों को सुध लेनी होगी। यह तभी संभव होगा जब हिंदुस्तानी संस्कृति अपनी एकता से इन समस्याओं पर प्रहार करे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब लाल किले की प्राचीर से भाषण देते हुए युवा भारत का गुणगान करते हैं, तो अस्वस्थ और अशिक्षित भारत की तस्वीर थोड़ी धूमिल हो जाती है, परंतु बाहर झांककर देखने पर सच्चाई तुरंत ही हमारे सामने भी दिखाई देने लगती है। एक ओर भारत आधुनिक युग की संरचना में संलिप्त है तो दूसरी ओर भूखमरी, बेरोजगारी की समस्या भारत की प्रगति में रोड़ा बना है। भारत की मूल समस्याएं गौण न हो जाए इसके लिए न केवल भारत सरकार को काम करना है, उसके साथ भारत की जनता को सजग और सकारात्मक होकर अपनी ऐतिहासिक सभ्यता की विरासत भारत भूमि को बढ़ाने के लिए कदम बढ़ाना होगा, तभी भारतीय लोकतंत्र जीवित रहेगा।

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