इस्राइली संसद ने युद्धविराम के समझौते को दी मंजूरी
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हमास – पिछले डेढ़ महीने से जारी हमास-इस्राइल जंग में आखिर एक विराम आया, जब इस्राइली संसद ने बुधवार को युद्धविराम के समझौते को मंजूरी दे दी। हालांकि इस बीच इस युद्ध के कारण गाजा में 14,000 से ज्यादा नागरिक मारे जा चुके हैं और 2,700 अन्य लोग लापता हैं। इन लापता लोगों में अधिकांश के मलबों के नीचे आने की बात कही जा रही है, जिसका मतलब यह है कि लाशें भले न मिली हों, लेकिन उनके जिंदा बचे होने की कोई संभावना नहीं रह गई है। इतने बड़े नुकसान की कीमत पर हासिल यह युद्धविराम भी अस्थायी है। इसकी मियाद महज चार दिनों की है। इस दौरान हमास 50 बंधकों को रिहा करेगा जिनमें महिलाएं और बच्चे होंगे। बदले में इस्राइल की जेलों में बंद 150 फलस्तीनी छोड़े जाने हैं।
जाहिर है, इस युद्धविराम को संभव बनाने वाला सबसे बड़ा कारक वे 240 लोग हैं, जिन्हें 7 अक्टूबर के आंतकवादी हमले में हमास के हमलावर बंधक बना ले गए थे। इनमें इस्राइल के साथ 40 देशों के नागरिक शामिल हैं। इनकी सुरक्षित रिहाई का दबाव अलग-अलग देशों की सरकारों पर है। खुद इस्राइल में भी नेतन्याहू पर इसका दबाव लगातार बढ़ता जा रहा था। अगर इस समझौते से जुड़े तमाम पहलुओं पर सही ढंग से अमल हुआ तो न केवल दोनों तरफ से 200 लोग कैद से मुक्त होंगे बल्कि गाजा में चौबीसो घंटे बमों की बारिश झेल रहे लोग भी चार दिनों के लिए ही सही, पर राहत महसूस करेंगे। इस बीच उनके लिए मानवीय सहायता भी पहुंचेगी और ईंधन की कमी के चलते बंद पड़े अस्पताल दोबारा शुरू हो पाएंगे।
अफसोस और चिंता की बात यह होगी इन सबके पीछे यह भाव लगातार काम करता रहेगा कि यह राहत सिर्फ चार दिनों के लिए है। इसके ठीक बाद फिर वही हालात बन जाने हैं। क्या इसका मतलब यह है कि हमास और इस्राइल दोनों पक्ष इस अवधि का इस्तेमाल अपनी तैयारियों को मजबूती देने के लिए करेंगे ताकि चार दिन के बाद और विनाशकारी युद्ध को अंजाम दे सकें? सारी संभावनाएं इसी ओर इशारा कर रही हैं। हालांकि ध्यान रहे, 50 बंधकों की रिहाई के बाद भी करीब 190 बंधक हमास के कब्जे में होंगे। इसी बात को ध्यान में रखते हुए इस्राइल ने कहा है कि वह इस अवधि के समाप्त होने के बाद भी हर दस बंधकों की रिहाई के बदले युद्धविराम को एक-एक दिन बढ़ाता रह सकता है। किसी भी उपाय से अगर युद्धविराम लंबा खिंचता है तो यह एक अच्छी बात होगी, लेकिन इसे काफी नहीं माना जा सकता। सवाल है कि 19 दिनों में सभी बंधकों के रिहा होने के बाद क्या होगा? जरूरत सिर्फ अपने लोगों को सुरक्षित निकालने की नहीं, यह समझने की है कि किसी भी तरफ के बेकसूर लोगों की जान जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। इसलिए हमास के खात्मे के नाम पर गाजा में हो रहे जान-माल के नुकसान पर स्थायी रोक लगनी चाहिए।
भारत विमर्श भोपाल मध्य प्रदेश