चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग:वैज्ञानिकों को सलाम
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प्रो नंदलाल मिश्र, महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदयविश्वविद्यालय चित्रकूट सतना म. प्र.
गौरव का क्षण।इतिहास बन गया।उन वैज्ञानिकों को सलाम जिनके श्रद्धा और सब्र ने भारत को अंतरिक्ष में स्थापित कराया।लगन,दृढ़ निश्चय,असफलता और आत्म विश्वास ने हमें वहां पहुंचा दिया जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है।हम साउथ पोल पर बैठ गए।यह सर्वोच्च उपलब्धियों में से एक है।प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर भारतवासियों को आश्वस्त किया कि हम यहीं रुकने वाले नही हैं और आदित्य एल 1 यानि सूर्य की स्थितियों पर भी अन्वेषण का कार्य जारी रखेंगे।सभी देश वासी भी बधाई के पात्र हैं। जुलाई तेईस के द्वितीय सप्ताह से प्रारंभ हुआ यह अभियान आज सफल हुआ।वैज्ञानिक जिसके लिए जाने जाते हैं वे ही आज इसे सफल कराकर सफल हुए।असफलताओं ने थोड़े वक्त के लिए उन्हें मायूस किया होगा पर भारतीय वैज्ञानिक कहां हार मानने वाले थे।लगातार चिंतन और प्रयास करके उन्होंने वह सफलता दिला दी जो कभी सपना था। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आज जो प्रगति देखने को मिल रही है वह उच्च अभिप्रेरणा का प्रतिफल है।यह सिद्ध करता है कि आधुनिक युग में विशेषकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के क्षेत्र में हमारे वैज्ञानिक बहुत कुछ करने के लिए उद्यत हैं।उन्हे सुविधाओ से दो चार होना पड़ता है।अगर हमारे पास पर्याप्त सुविधाएं और स्वतंत्रता मिले तो निसंदेह हमारी मेधा विश्व को अपने ज्ञान का नजारा दिखाने में समर्थ है।समस्या यही है कि लोकतंत्र में नीतियां बनती हैं,बिगड़ती हैं और इसमें ज्यादा वक्त नहीं लगता।जबकि अनुसंधान का क्षेत्र ऐसा क्षेत्र होता है जहां सफलताओं के पीछे पीछे असफलताएं भी लगी रहती हैं और ऐसे हालात में यह टाइम टेकिंग प्रोसेस हो जाता है।जब तक एक अनुसंधान एक पायदान क्रॉस करता है तब तक पता लगता है कि हमारी नीतियां और सरकार बदल गए।जबकि ऐसे अनुसंधानों पर सरकारों के बनने और बिगड़ने से कोई असर नहीं होना चाहिए।
आज प्रत्येक भारतवासी उल्लास में है।वह गर्व से फूल नही समा रहा है कि हम भी चांद पर।यह कहने में कोई गुरेज नहीं कि सॉफ्टवेयर,प्रोग्रामिंग,एल्गोरिथम और मशीन लर्निंग के क्षेत्र में हमारी विशिष्टताएं दिन प्रतिदिन निखरती जा रही हैं।आज की लैंडिंग में एल्गोरिथम ने कमाल कर दिया और हम चांद पर तो पहुंच ही गए हमारी परिपक्वता एल्गोरिथम में भी बढ़ गई और हमारे हौसलों को पर लग गए।हमारे अनुसंधान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में उस मुकाम को पा गए जो अन्य के लिए दुर्लभ है।हम मशीनों को सिखाने के मामले में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने लगे। यानि कुल मिलाकर हमारी उपलब्धियां कंप्यूटर के क्षेत्र में सराहनीय हैं और हम आगे बहुत कुछ करने की स्थिति में आ चुके हैं।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र को और गहराई देने की जरूरत है।नीति नियंताओं द्वारा इस क्षेत्र में विशेष पैकेज देने की जरूरत है।यदि उन्हे प्रेरणा और स्वतंत्रता सतत मिलता रहे तो हमारे वैज्ञानिक बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं।आध्यात्मिक विकास से लबालब इस देश में विज्ञान की तरफ रुझान बढ़ रहा है।कौशल विकास, तकनीकी विकास समय की जरूरत हैं।हमें दुनिया के साथ तो चलना ही होगा किंतु हम हिंदुस्तानी लोग आस्तिक दर्शन में अधिक विश्वास रखते हैं।यह मानवता के लिए आवश्यक भी है।इसलिए भारतीय धरा आस्तिकता के साथ साथ यदि हम चांद पर सफल लैंडिंग कर लिए तो यह उपलब्धि और भी महान बन जाती है।आशा ही नही पूर्ण विश्वास हो चला है कि भविष्य हमारा है।इसे पहचानना होगा और आध्यात्मिकता की जमीन पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी के पंख लग गए तो आने वाली सदी में भारत के योगदान की अनदेखी नहीं हो सकेगी।
इस विशालकाय राष्ट्र के लिए वैज्ञानिक सोच में प्रगति एक शुभ संकेत है।देश की शिक्षा व्यवस्था को व्यवस्थित करना होगा।हमने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू कर दिया है लेकिन इसके क्रियान्वयन की कमियों पर पैनी दृष्टि रखनी होगी क्योंकि जिस दिशा में हम आज निकल चुके हैं उसे हमे और आगे ले जाना होगा और यह तभी संभव है जब हम युवा पीढ़ी में वैज्ञानिक चिंतन को भर सकें।अंत में भारत वर्ष के सभी वैज्ञानिकों विशेषकर इसरो के वैज्ञानिकों की उच्च प्रेरणा को सलाम जिन्होंने भारत का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया और हमारे सिर को विश्व बिरादरी में ऊंचा किया।