पेयजल समस्या से जूझ रहे ग्रामीण,गंदा पानी पीने को मजबूर
1 min readमझगवां – चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र की आदिवासी बाहुल्य जनपद पंचायत मझगवां में भीषण पेयजल की समस्या से गांव – गांव लोग परेशान है। ग्राम पंचायत देवलहा में भीषण पेयजल संकट खड़ा है। ग्रामीण दो किलोमीटर दूर से गंदा पानी लाकर पीने को विवश है। तपती धूप में एक एक बूंद पानी का संग्रह करते है, और इसी पानी का इस्तेमाल कर रहे। साढ़े तीन सौ परिवार सिर्फ एक कुएं के उस पानी पर निर्भर है!जो पीने योग्य तो कदापि नही है।
ये तस्वीर चित्रकूट क्षेत्र के देवलहा गांव की है।जहां साढ़े तीन सौ आदिवासीयों की वस्ती इन दिनों एक एक बूंद पानी को मोहताज है।गांव में एकमात्र हैंडपंप है जो वर्षों से खराब पड़ा हुआ है। बस्ती से लगभग ढाई किलो मीटर दूर एक कुआं है, जिंसमे बूंद बूंदकर पानी रिसता है और इसी कुएं का पानी आदिवासियों का कंठ गीला कर रहा है।कुएं में 24 घण्टे लोग पानी के लिए कतार लगाए खड़े रहते है। पानी भी पूरी तरह मटमैला निकलता है, जो पीने योग्य तो कदापि नही है। मगर मजबूरी ऐसी की यही पानी बस्ती के लोग पीने के साथ साथ अन्य कामो में भी उपयोग कर रहे हैं ।ग्रामीणों की मॉने तो न सरकार सुन रही है और न स्थानीय जनप्रतिनिधि।इसके कारण काम धाम छोड़कर एक एक बूंद पानी एकत्रित करने में पूरा समय चला जाता है।
हर बार गर्मी के मौसम में देवलहा गांव के आदिवासी परिवार कुछ इसी तरह परेशान होते है। पिछले वर्ष परिवहन कर यहां शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की गई थी, मगर इस वर्ष इसकी भी व्यवस्था नही हुई। मजबूरी में लोग गंदा पानी पीकर बीमार हो रहे। ऐसा नही है की प्रशासन को इसकी जानकारी नही है। ग्रामीणों द्वारा कई बार ज्ञापन सौंप कर गांव में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराए जाने की गुहार लगाई गई है। मगर नतीजा अभी तक ढाक के तीन पात ही है। प्रशासन भी मॉन रहा कि ग्रामीण लगातार ज्ञापन दे रहे हैं, मगर पीएचई विभाग द्वारा अबतक कोई व्यवस्था नही की गई है।
बहरहाल इस गांव में न हैंडपंप है और न ही जल जीवन मिशन के तहत टंकी बनाकर घर घर शुद्व पेयजल की व्यवस्था। ऐसे में ये आदिवासी परिवार खुद को ठगा समझ कर अपनी किस्मत को कोस रहे हैं।ऐसे में जरूरत है जल्द परिवहन कर पेयजल की बैकल्पिक व्यवस्था करने की। ताकि कोई गंदा पानी पीकर डायरिया जैसी गंभीर बीमारियों का शिकार न बन जाए।
भारत विमर्श सतना म०प्र०