May 9, 2024

प्रेस और अभिव्यक्ति की आजादी पर कसता शिकंजा

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यदुवंशी ननकू यादव नयाइंडिया

देश में आपातकाल के दौर से पत्रकारों के दमन की डरावनी मिसालें मिलती रही. 90 के दशक में इसमें तेजी आई और इंटरनेट मीडिया ने रही सही कसर पूरी कर दी. अब पत्रकार सोशल मीडिया पर लिखे गए ट्वीट के लिए भी गिरफ्तार हो रहे हैं.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के पार्टी के सीधी जिले के एक विधायक की खबर छापने पर सोशल मीडिया यूट्यूब के पत्रकारों को गिरफ्तार करके अर्धनग्न किया गया इससे बड़ी शर्मसार घटना क्या हो सकती है इतना ही नहीं थाना प्रभारी मनोज सोनी द्वारा यह भी कहा गया कि पुलिस और विधायक के खिलाफ खबर चलाओगे इसी प्रकार पुलिस मुकदमा लगाएगी एवं शहर में जुलूस भी निकालेगी जब की इस तरह की
गिरफ्तारी असंवैधानिक और अभिव्यक्ति की आजादी और मानवाधिकारों का उल्लंघन है.
अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की उस चेतावनी की याद दिलाती है जिसमें भारत को पत्रकारिता के लिहाज से रेड जोन के रूप में दिखाया गया है. पत्रकारों के लिए समय कठिन से कठिन होता जा रहा है. उनके मानवाधिकार, सूचना हासिल करने, प्रेषित और प्रसारित करने के अधिकार और कानूनी वैधानिक अधिकार तक दांव पर लगे हैं. अदालतों से, खासकर सुप्रीम कोर्ट से ही पीड़ित पत्रकारों को अकसर राहत मिलती रही है. लेकिन इससे ये भी साफ हुआ है कि पत्रकारों पर कानून का डंडा चलाने वाली सत्ता राजनीति या उन्हें अपने विरोध में खबर न छापने के लिए धमकाने वाली ताकतों को इसकी कोई परवाह नहीं रहती कि उनकी कार्रवाई वैधानिक तौर गलत हो सकती है या उनका कोई कुछ बिगाड़ सकता है।


पत्रकार यदुवंशी ननकू यादव राष्ट्रीय सचिव राष्ट्रीय ग्रामीण पत्रकार संघ

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