नीलम रत्न असली है या नकली ऐसे करें जाँच-परीक्षण…
1 min readशनि का रत्न नीलम के विभिन्न नाम:
संस्कृत में – शौरिरत्न,इन्द्रमणि,नील,तृणग्राही।
अंग्रेजी में- saphire(शेफायर)।
कहाँ पाया जाता है नीलम:
ऑस्ट्रेलिया,रोडेसिया रूस में सामान्य स्तर का नीलम पाया जाता है। वर्मा में कुछ हरापन लिए मध्यम श्रेणी का नीलम पाया जाता है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में ठीक नीलम मिलता है श्रीलंका में श्रेष्ठ नीलम पाया जाता है। भारत में कश्मीर का नीलम श्रेष्ठ होता है ।
जाँच व परीक्षण :
असली नीलम दूसरे किसी की परछाई ग्रहण नहीं करता है किंतु अपना प्रकाश दूसरे पर डालता है असली नीलम पारदर्शी मुलायम एवं अंदर से किरण फेकता है असली नीलम में तिनक- चिपक जाता है असली नीलम को पूर्णिमा की रात्रि में साफ कटोरे में दूध में डालने पर दूध नीला दिखाई पड़ता है असली नीलम कागज या कपड़ा रखकर नंगी आंखों से देखने पर नीलम में सीधी रेखाएं दिखाई पड़ती है पर नकली नीलम मैं अंदर से तिरछी रेखाएं दिखाई पड़ती है।
इसी दौरान दुष्यं
विशेष- नीलम के बारे में रत्न विशेषज्ञों की मान्यता है कि वह सबको अनुकूल प्रभाव नहीं देता इसके प्रभाव के बारे में कहा जाता है 2 या 3 महीने 2 या 3 सप्ताह यह दो 3 दिन में अपना शुभ अशुभ प्रभाव डालता है इसलिए शनि के शुभ होने पर भी नीलम को नीले रेशमी वस्त्र में सिलकर पुरुष को दाहिने और स्त्री को बाएँ हाथ में बांध कर उसके प्रभाव को देख कर ही धारण करना चाहिए यदि नीलम के कारण कोई अशांति विवाद या धन का अपव्यय या अन्य कोई पारिवारिक या शारीरिक समस्या आती है या अशुभ प्रभाव का अनुभव होता है तो नीलम को तुरंत पास से अलग कर देना चाहिए और यदि अच्छा प्रभाव पड़े तो फिर धारण कर लेना चाहिए।