नए तेवर और पुराने फ्लेवर के साथ नई होगी मोदी सरकार
1 min read-अभिषेक कुमार
17वीं लोकसभा चुनावों का परिणाम देश ने सुना दिया है। नरेंद्र मोदी को भारत के सोलहवें प्रधानमंत्री के रूप में दोबारा चुना गया है। नरेंद्र मोदी 30 मई को दोबारा प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में 2022 तक भारत में विकास लाने का वादा किया था। संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद नरेंद्र मोदी ने अपने उसी वादे को एक बार फिर दोहराया है। देश प्रधानमंत्री को एक सशक्त और मजबूत प्रधानमंत्री के रूप में देखता है। राष्ट्र उन्हें मजबूत कदम उठाने के लिए जानता है। इसलिए प्रधानमंत्री के सामने चुनौती होगी कि देश में उड़ी और पठानकोट जैसी घटना ना हो। जम्मू-कश्मीर में शांति बहाल हो, आतंक पर लगाम लगे। देश में किसानों की आय बढ़े, महिला सुरक्षा, युवाओं को रोजगार मुहैया कराया जा सके जैसे कई अन्य अहम मुद्दे हैं, जिनपर एकता बनी रहे। प्र्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक बड़ी अहम जिम्मेदारी अल्पसंख्यकों को अपने विश्वास मे लाना होगा, उनके अंदर सरकार के प्रति विश्वास जगाना होगा, इसके लिए मॉब लिंचिंग, बीफ के नाम पर विवाद जैसी घटनाओ के लेकर एक खुला और कड़ा संदेश देना होगा। अल्पसंख्यक समाज जो देश के किसी कोने या किसी धर्म से हो उनके विकास के लिए उसे रोजगार या व्यावसाय से जोड़ना अहम होगा।
दूसरी अहम बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी नई टीम को 16 वें लोकसभा से अलग एक शक्ल देनी चाहिए, युवाओं को इस कैबिनेट में जगह मिलनी चाहिए, हालांकि इस बार इसकी संभावना जताई जा रही है। मोदी सरकार में इस बार अनुराग ठाकुर, पूनम महाजन, वरूण गांधी, मनोज तिवारी जैसों को जगह मिलनी चाहिए। वहीं सहयोगियों में चिराग पासवान व अन्य युवा चेहरों भी शामिल किया जा सकता है। मोदी सरकार के इस कैबिनेट में फेरबदल की पूरी संभावना है। वित्त मंत्री के रूप में पियुष गोयल होंगे, वहीं स्मृति ईरानी को भी एक बड़ा मंत्रालय मिलने की पूरी संभावना है। मोदी सरकार के बड़े सहयोगियों के रूप में शामिल जदयू की ओर से तीन चेहरे को कैबिनेट मंत्रियो की फेहरिस्त में शामिल किया जा सकता है। वहीं शिवसेना और अकाली दल से भी दो मंत्रियों को शामिल हो सकते हैं। साथ ही इस बार नए सहयोगियों के भी जुड़ने की बात सामने आ रही है, जिसमें से आंध्र प्रदेश विधानसभा में जीत हासिल करने वाले जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर और उड़ीसा विधानसभा में जीतने वाले बीजेडी के भी मंत्रिमंडल में शामिल होने की संभावना है।
मोदी सरकार का यह नया कार्यकाल नई संभावनाओं की तलाश का कार्यकाल माना जा रहा है। देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विश्वास जताया जाता है इनके साहसिक फैसले के लिए, विपक्षियों पर सीधा और तीखा हमला करने के लिए और अपनी नीतियों को बिना रूकावट के जारी करने के लिए। मोदी सरकार पर विपक्ष के साथ काम करने की भी एक चुनौती होगी। विपक्ष का चुनावों में प्रदर्शन का इतना बुरा हाल होने के बाद संगठित तौर पर काम करना इतना आसान नहीं दिखता, वह घायलों की तरह हमलावार की स्थिति में होंगे। संसद में विपक्षी एकजुटता अड़गा डालने को तैयार होगी, हालांकि सरकार की स्थिति मजबूत होने से प्रधानमंत्री मोदी को उन्हें विश्वास में लेकर काम करना होगा, ताकि टकराव कम हो। मोदी सरकार के इस कार्यकाल में हमें अहम फैसले भी देखने को मिलेंगे, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के काम करने के तरीके को देखकर यही जा सकता है नए तेवर होंगे लेकिन फ्लेवर वही होगा।