मिले सुर हमारा तुम्हारा तो सुर बने न्यारा
1 min readरोशन (वरिष्ठ पत्रकार)
विचार: राजनीति में राजनीतिक सुर को समझ पाना उतना आसान नही है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में दो विपरीत सुर का एक साथ आना और एक सुर से अगले लोकसभा चुनाव में मोदी के अश्वमेध घोड़े को रोकने का एलान करना वाक्य में भारतीय राजनीति का एक नया चरित्र सामने आ रहा है।
साईकल पर हाथी की सवारी ने पूरे उत्तर प्रदेश के राजनीतिक समीकरण को बदल कर रख दिया है। बहुजन और समाजवाद का यह मिलन राज्य में पहली बार नहीं हो रहा है, इससे पहले भी मुलायम और काशीराम मिल चुके है।
माया और अखिलेश का यह मिलन उत्तर प्रदेश में अपनी राजनीतिक जमीन खोने के कगार पर पहुच चूँकि दोनों दलों के लिए संजीवनी का काम करेगा। माया अखिलेख के इस गठबंधन का यूपी के राजनीति में जातीय समीकरणों के हिसाब से बहुत महत्व है।
और जिसका सुखद अनुभव दोनो ही दल विगत फूलपुर, गोरखपुर के उपचुनाव में देख चुकी है।