नोटबंदी और जीएसटी को भारत के आर्थिक विकास की रफ्तार में बड़ी अड़चन: रघुराम राजन
1 min readभारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में भारतीय अर्थव्यवस्था के वर्तमान, अतीत और भविष्य को लेकर अपनी बातें रखीं-
उन्होंने कहा नोटबंदी और जीएसटी आर्थिक वृद्धि की राह में आने वाली ऐसी दो बड़ी अड़चनें हैं, जिसने वृद्धि की गति को प्रभावित किया. इसमें तो दो राय हो ही नहीं सकती कि इन दोनों का कदमों का व्यापक असर हुआ है.
एक बार ऐसे कदम उठाने का तात्कालिक परिणाम नकारात्मक होना ही था. नोटबंदी के नाकरात्मक प्रभाव खत्म होकर सकारात्मकता की राह हमारी अर्थव्यवस्था ने पकड़ना आरंभ किया ही था कि जीएसटी आ गया.
राजन ने पीएमओ की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि भारत में बहुत सारे निर्णयों में पीएमओ का दखल भी तमाम दिक्कतों में से एक है.
राजन ने कहा कि 25 साल तक सात प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर बेहद मजबूत वृद्धि है. उन्होंने इसमें यह भी जोड़ा कि कुछ मायनों में यह भारत के लिए वृद्धि की नई सामान्य दर बन चुकी है, जो कि पहले साढ़े तीन प्रतिशत हुआ करती थी. साथ ही उन्होंने कहा कि जिस तरह लोग श्रम बाजार से जुड़ रहे हैं, उनके लिए सात प्रतिशत विकास दर पर्याप्त नहीं है और हमें अधिक रोजगार सृजित करने की जरूरत है. भारत में हर वर्ष जितने नौजवान रोजगार बाजार में आते हैं, उनको ध्यान में रखते हुए आर्थिक विकास दर को आगे बढ़ाना होगा.
राजन ने वैश्विक वृद्धि के प्रति भारत के संवेदनशील होने की बात स्वीकार करते हुए कहा कि भारत अब काफी खुली अर्थव्यवस्था है. यदि विश्व वृद्धि करता है तो भारत भी वृद्धि करता है. उन्होंने कहा कि 2017 में यह हुआ कि विश्व की वृद्धि के गति पकड़ने के बाद भी भारत की रफ्तार सुस्त पड़ी. इससे पता चलता है कि इन झटकों (नोटबंदी और जीएसटी) वास्तव में गहरे झटके थे. इन झटकों के कारण हमें ठिठकना पड़ा.
राजन ने कहा कि देश के सामने अभी तीन दिक्कतें हैं. पहली दिक्कत उबड़-खाबड़ बुनियादी संरचना है. उन्होंने कहा कि निर्माण वह उद्योग है जो अर्थव्यवस्था को शुरुआती चरण में चलाता है. उसके बाद बुनियादी संरचना से वृद्धि का सृजन होता है. उन्होंने कहा कि दूसरा अल्पकालिक लक्ष्य बिजली क्षेत्र की स्थिति को बेहतर बनाना हो सकता है. यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि सालाना उत्पन्न बिजली उनके पास पहुंचे जिन्हें इसकी जरूरत है. तीसरा मुद्दा बैंकों के कर्ज खातों को साफ सुथरा बनाना है.
राजन ने अपने पुरे भाषण में भारत के अच्छे भविष्य की बात की है, मगर कुछ बिकाऊ मीडिया हाउस ने अच्छी बातों को नजरअंदाज कर पूरे भाषण में से कुछ लाइनें निकालकर डिबेट कराना शुरू कर दिया. जो दुखद है. बहरहाल, उन्होंने जो कुछ सुझाव दिया है उसे उदार नजरिए से देखकर काम किया जाना चाहिए.