Nana ji की चौदहवीं पुण्यतिथि पर चित्रकूट में 5 स्थानों पर शुरू हुए सेमिनार
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चित्रकूट – भारत रत्न नानाजी देशमुख के निर्वाण के 14 वर्ष पूर्ण होने पर उनकी 14 वीं पुण्यतिथि पर 25-26-27 फरवरी को दीनदयाल परिसर के लोहिया सभागार, विवेकानंद सभागार व बाल कला भवन में पांच अलग-अलग राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन व संगोष्ठी आयोजित की जा रही है। जिसका शुभारम्भ रविवार को सतना सांसद गणेश सिंह, बांदा चित्रकूट के सांसद आरके सिंह पटेल, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंका कानूनगो, बेस्ट इंडीज के प्रो नरेश सिंह, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के कुलपति प्रो अरविंद शुक्ला, झांसी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो मुकेश पांडे, महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ भरत मिश्रा, पदम श्री उमाशंकर पांडे, मध्य प्रदेश शासन की पूर्व मंत्री सुश्री उषा ठाकुर, डॉ त्रिलोचन महापात्रा, अटारी डायरेक्टर डॉ शांतनु दुबे, डॉ एसआरके सिंह, डॉ अंबेडकर महू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डीके शर्मा, डॉ शेषाद्री चारी, गजानन डांगे आदि विद्युत जनो के आतिथ्य में किया गया।
सम्मेलन के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के संयोजक श्री वसंत पंडित ने बताया कि 1968 में भारत रत्न राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख द्वारा स्थापित दीनदयाल शोध संस्थान (डीआरआई) ने चित्रकूट में पानी की कमी, आदिवासी बहुल और दूरदराज के इलाकों में संघर्ष मुक्त और आत्मनिर्भर गांवों के लिए अपने दृष्टिकोण का प्रदर्शन किया है।
संस्थान की परियोजनाएं और उसके कार्य विशेष रूप से कृषि, जलवायु अनुकूल कृषि / वानिकी, आय सृजन और वित्तीय स्थिरता, जल और स्वच्छता, स्वास्थ्य और ज्ञान सह-निर्माण पर केंद्रित हैं और इन्हें बीड और गोंडा में सक्रिय रूप से दोहराया जा रहा है। दीनदयाल शोध संस्थान के माध्यम से नाना जी ने ग्रामीण विकास के पांच लक्ष्य रखें जो भारत की जीवन शैली के अभिन्न अंग है। सतत विकास के लक्ष्य को संयुक्त राष्ट्र ने अडॉप्ट किया है। सतत विकास लक्ष्यों में एकात्म मानव दर्शन का बोध होता है।
उद्घाटन सत्र का संचालन करते हुए डीआरआई के महाप्रबंधक अमिताभ वशिष्ठ ने बताया कि इस सम्मेलन के माध्यम से एसडीजी को प्राप्त करने में अपने प्रयासों के प्रमुख एजेंडे के रूप में मजबूत, टिकाऊ और संतुलित विकास को बढ़ावा देने के लिए यह विमर्श सकारात्मक दिशा के रूप में कार्य करेगा।
अपने उद्बोधन में सतना सांसद गणेश सिंह ने कहा कि पिछले 3 वर्षों से लगातार सतत विकास पर चर्चा हो रही है। पूरी दुनिया में कई ऐसी समस्याएं हैं जो एक जैसी हैं और इन समस्याओं का कहीं ना कहीं हल निकालना चाहिए, सतत विकास होना चाहिए, जो प्रकृति के अनुकूल हो। चित्रकूट पर उन्होंने कहा कि चित्रकूट संतों की भूमि रही है प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण है। 90 के दशक में नानाजी चित्रकूट आए उन्होंने प्रकृति का पूरा ध्यान रखा। जीवन और समाज निर्माण के विभिन्न बिंदुओं पर उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में काम खड़ा किया।
मध्य प्रदेश की पूर्व मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने कहा कि हम इस आयोजन के माध्यम से भारत-भारतीयता और सनातन के तौर तरीकों को यहां सीखने का प्रयास कर रहे हैं। जब तक विश्व सनातन वैदिक तौर तरीकों की ओर नहीं मुड़ेगा जब तक सुख शांति की कल्पना नहीं हो सकती। नानाजी की पुण्यतिथि मनाने के पीछे उनके कृतित्व और उन्होंने जो जिया है जो सोच उनकी रही है उसे धरातल पर उतरना हम सब की जिम्मेदारी है।
उद्घाटन अवसर पर जिंदल स्कूल आफ गवर्नमेंट एंड पब्लिक पॉलिसी के कार्यकारी डीन वेस्टइंडीज के प्रोफेसर नरेश सिंह, डॉ शेषाद्री चारी, गजानन डांगे, बांदा सांसद आरके सिंह पटेल द्वारा भी अपना उद्बोधन दिया गया।
तृतीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन सतत विकास के लक्ष्य के अन्तर्गत – एसडीजी-2 (शून्य भुखमरी) व एसडीजी 4 (गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा) पर आयोजित किया जा रहा है। वहीं विविध सेमिनारों व कार्यशालाओं के अन्तर्गत भारतीय प्राकृतिक खेती एवं मानव स्वास्थ्य, पौधों की किस्म और किसानों के अधिकारों का संरक्षण अधिनियम, मातृशक्ति के उत्तम स्वास्थ्य एवं पोषण में पोषक अनाजों का महत्व, कृषक उत्पादक संगठन में कार्यकर्ताओं में कौशल संवर्धन एवं उद्यमिता के अलावा महिला सशक्तिकरण में स्वयं सहायता समूह की भूमिका पर अलग-अलग स्थानों पर सेमिनार आयोजित किये जा रहे हैं। दीनदयाल परिसर के लोहिया सभागार, बाल कला भवन एवं विवेकानंद सभागार में पांच अलग-अलग स्थान पर सेमिनार व कार्यशाला का आयोजन हो रहा है
इस आयोजन में कई विश्वविद्यालयों और सामाजिक संस्थाओं की भागीदारी के साथ देशभर से प्रमुख विषय विशेषज्ञ चित्रकूट पधार चुके हैं। वहीं 26 फरवरी को छात्र शक्ति द्वारा नानाजी देशमुख स्मृति विशाल तिरंगा यात्रा ग्रामोदय विश्वविद्यालय से भरत घाट तक निकाली जाएगी।
नानाजी ने गांव के विकास में जनता की पहल और सहभागिता को ही अपना ध्येय माना, इसलिए पिछले 13 वर्षों से उनकी पुण्यतिथि का कार्यक्रम जन सहभागिता से ही संपन्न होता आ रहा है। नानाजी की पुण्यतिथि के अवसर पर प्रत्येक वर्ष ग्रामीण जनों को कृषि, पशु पालन, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वरोजगार, विवाद मुक्त ग्राम और अन्य क्षेत्रों की विविध योजनाओं एवं प्रगति की जानकारी देने हेतु कार्यक्रम आयोजित होते आ रहे हैं। इसीलिए उनकी 14वीं पुण्यतिथि का कार्यक्रम भी जन सहभागिता से ही संपन्न हो रहा है।

जावेद मोहम्मद विशेष संवाददाता भारत विमर्श चित्रकूट मध्य प्रदेश