क्या ज़ायकेदार होगा उपेंद्र कुशवाह का खीर ?
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2019 के आम चुनावो से पहले ही बिहार की सियासत गर्माने लगी है. भाजपा अब तक भले ये कह रही हो कि वह इस राज्य में अपने सभी सहयोगियों को साथ लेकर चलेगी, लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है. यहां भाजपा को उसके एक सहयोगी दल की ओर से झटका लग सकता है. आने वाले आम चुनाव के लिए अभी सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है, लेकिन उससे पहले ही रालोसपा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाह ने अपने बयान से भाजपा की धड़कनें बढ़ा दी हैं.
उपेंद्र कुशवाहा ने बीपी मंडल की जयंती पर कुछ ऐसा कहा की एक बार फिर उनके राजद के साथ जाने के कयास लगाए जाने लगे.
शनिवार को पटना में हुए कार्यक्रम में उपेन्द्र कुशवाहा ने राजनितिक खीर बनाने की एक विधि बतायी. उनके अनुसार अगर यदुवंशियों का दूध और कुशवंशी उसमें चावल मिलाये तो दुनिया का सबसे स्वादिष्ट खीर तैयार होगा. फिर उन्होंने अपनी पार्टी के ब्राह्मण नेता शंकर झा आज़ाद की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि ये चीनी मिलाएंगे और दलित नेता भूदेव चौधरी उसमें तुलसी डालेंगे. कुशवाहा ने कहा कि अगर यह समीकरण एक साथ हो जाये तो राज्य की सत्ता पर क़ाबिज़ हो सकते हैं. सम्मेलन में कुशवाहा की पार्टी के कई नेताओं ने उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की भी मांग की है.
कुशवाहा के इस बयान पर रनीतिकारो का कहना है की कुशवाहा लोकसभा चुनाव को लेकर अपनी रणनीति साफ़ कर रहे हैं. माना ये भी जा रहा है कि उपेन्द्र कुशवाहा फिलहाल मंत्री पद की वजह से भाजपा के साथ रहना चाहते हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव से पूर्व अगर राजद के साथ सीट बंटवारे पर ठीक-ठाक बात बन जाती है तो वे एनडीए का दामन छोड़ने में परहेज भी नहीं करेंगे.
बिहार की सियासत में आरजेडी यादवों का प्रतिनिधित्व करती है. वहीं कुशवाह जाति के वोटों पर रालोसपा का असर माना जाता है. ऐसे में उपेंद्र कुशवाह का ये बयान काफी कुछ कह देता है.साथ ही साथ एक नए समीकरण को भी बनाने की कोशिस साफ़ देखी जा सकती है. जिसमे यादव,कुशवाह,ब्राह्मण और दलित को एक जुट करने की कोशिस है.तो दूसरी ओर भूमिहार,राजपूत,कायस्त और मुसलमानों के वोट को इस नए समीकरण से अलग रखा गया है.