चंबल के पूर्व डकैत मलखान सिंह कांग्रेस में शामिल
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भोपाल – मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के करीब आते ही दल बदल की राजनीति लगातार सुर्खियां बटोर रही है. इन सब के बीच राजधानी भोपाल में चंबल के पूर्व डकैत मलखान सिंह अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस का दामन थाम लिया है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की मौजूदगी में मलखान सिंह सदस्यता ग्रहण की. मलखान सिंह ने कहा कि पहले अन्याय के खिलाफ बंदूक उठाई गई थी और अब अत्याचार के खिलाफ बिगुल बजा दिया गया है।
बुधवार को भोपाल में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की मौजूदगी में जब पूर्व डकैत मलखान सिंह कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की तो सभी चौंक गए. साल 2014 में मलखान सिंह ने भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में प्रचार प्रसार किया था. उनके द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरे क्षेत्र में प्रचार प्रसार किया गया. यहां तक की नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह के खिलाफ भी मलखान सिंह प्रचार कर चुके हैं. दरअसल मलखान सिंह ने पूर्व में भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली थी. मलखान सिंह को उम्मीद थी कि भाजपा उन्हें चुनाव में टिकट देगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
इसके बाद साल 2019 में मलखान सिंह बीजेपी से किनारा कर लिया. मलखान सिंह का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार में महिलाओं पर अत्याचार और अन्य आपराधिक मामले बड़े हैं इसके अलावा घोषणाओं के अलावा जनता को कुछ भी नहीं मिला है. इसी वजह से उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया है. अब वे कमलनाथ को एक बार फिर मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने के लिए पूरी ताकत के साथ प्रचार करेंगे।
मलखान सिंह पर दर्ज थे 94 आपराधिक मामले
एक समय था जब चंबल के बीहड़ में मलखान सिंह का नाम ही काफी था. मलखान सिंह को डकैतों का राजा कहा जाता था. हालांकि शुरू से ही मलखान सिंह को डकैत कहलाना पसंद नहीं था. जो मलखान सिंह को डकैत पुकारता था उसे वह खत्म कर देता था. इसके बाद मलखान सिंह की पहचान बागी के रूप में हुई. जब मलखान सिंह ने 15 जून 2082 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने सरेंडर किया, उस समय तक मलखान सिंह पर 94 आपराधिक मामले दर्ज हो चुके थे।
राजीव गांधी और अर्जुन सिंह ने किए थे प्रयास
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने मलखान सिंह को सरेंडर कराने के लिए काफी प्रयास किए थे. मलखान सिंह ने साथियों के साथ सरेंडर करने के बाद 6 साल तक जेल की सलाखों के पीछे सजा काटी. इसके बाद मलखान सिंह को रिहा किया गया. उस समय मलखान सिंह की दहशत केवल मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि राजस्थान और उत्तर प्रदेश तक फैली हुई थी।
राम मंदिर की जमीन से शुरुआत हुआ था विवाद
इस बात का जिक्र मलखान सिंह कई बार कर चुके हैं कि उनके द्वारा राम मंदिर की जमीन को लेकर हुए विवाद के बाद बंदूक उठाई गई थी. राम मंदिर की 100 बीघा जमीन पर कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया था. जब मंदिर की जमीन से कब्जा हटाकर उसे फिर मंदिर में शामिल कर दिया गया तो उन्होंने बंदूक भी छोड़ दी. पूर्व में मलखान सिंह लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं, जिसमें उन्हें शिकस्त खाना पड़ी थी।
भारत विमर्श भोपाल मध्य प्रदेश