May 6, 2024

चन्दन की खेती चमका सकती है किसानों की किस्मत

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भोपाल – वर्तमान में किसानों का रुझान नगदी फसलों की खेती की तरफ ज्यादा है। किसान कम लागत और कम परिश्रम में ज्यादा फायदा देने वाली फसलों की खेती की तरफ ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। ऐसे में चन्दन की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। चंदन के औषधीय गुण के कारण देश ही नहीं विदेशों में भी बहुत मांग है। चन्दन की खेती कम परिश्रम एवं अत्यधिक लाभ देने में सक्षम है।
कई काम आती है चंदन की लकड़ी

चंदन के पेड़ से निकलने वाला तेल और लकड़ी दोनों औषधियां बनाने के काम आती हैं। साबुन, कॉस्मेटिक्स और पफ्र्यूम में चंदन के तेल को खुशबू के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इस खेती को शुरू करने के लिए आपको एक लाख लगाने होंगे, जिससे कम से कम साठ लाख तक का मुनाफा हो सकता है।

उत्पादन 100 टन और मांग लगभग 8000 टन

भारत में चन्दन का कुल उत्पादन 100 टन के आसपास है, किन्तु इसकी खपत प्रति वर्ष 7,000 से 8,000 टन तक रहती है, जिस वजह से इसकी कीमत काफी महंगी होती है। कई राज्यों में चन्दन की खेती पर प्रतिबंध है। कई राज्य इसकी खेती पर सब्सिडी भी देते हैं, खेती के लिए कानूनी मान्यता की भी जरूरत होती है।

तैयार होने में लगता है 10 से 15 वर्ष का समय: इसके पौधों को तैयार होने में 10 से 15 वर्ष का समय लगता है, जिसके पौधों की लम्बाई 20 से 25 मीटर तक होती है। चन्दन पेड़ के सभी भागों को इस्तेमाल में लाया जाता है।

खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी जलवायु और तापमान
चन्दन की खेती के लिए लाल, बलुई, चिकनी, दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। इसकी खेती के लिए उचित जल निकासी वाली भूमि की आवश्यकता होती है। चन्दन के खेत में जल जमाव किसी भी परिस्थिति में नहीं होना चाहिए तथा भूमि का पी एच मान 7 से 9 के मध्य होना चाहिए। चन्दन की खेती जलोढ़ और नम मिट्टी में करने से तेल की मात्रा कम प्राप्त होती है। चन्दन का पौधा शुष्क जलवायु वाला होता है, इसके पौधों को अधिक ठंडी जलवायु की आवश्यकता नहीं होती है। जाड़े में गिरने वाला पाला इसके पौधों के लिए उचित नहीं होता है। इसके पौधे अधिक धूप को आसानी से सहन कर सकते है। इसके पौधों को अधिकतम 500 से 625 मिमी बारिश की आवश्यकता होती है। चन्दन के पौधों को अधिकतम 45 डिग्री तथा न्यूनतम 15 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है।
चन्दन की किस्में
चन्दन मूलतया दो प्रकार का होता है। लाल चन्दन और सफेद चन्दन। लाल चंदन की खेती दक्षिण भारत के राज्यों में होती हैं, जबकि सफेद चंदन उत्तर भारत के राज्यों में हो सकता है।
लगाने का सही समय: चन्दन के पौधों की रोपाई का सही समय बारिश का मौसम होता है। चन्दन को बीज और पौध दोनों ही रूप में लगाया जाता है।

चन्दन के खेत की तैयारी और उवर्रक
इसकी खेती के लिए सबसे पहले खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई कर दी जाती है। इससे खेत में मौजूद खरपतवार,अवशेष पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं। जुताई के बाद खेत को कुछ समय के लिए खुला छोड़ दिया जाता है। इससे बाद खेत में पानी लगाकर पलेवा करना चाहिए। पलेवा के बाद रोटावेटर से खेत की दो से तीन जुताई करके पौधों की रोपाई के लिए गड्डों को तैयार कर लिया जाता है। यह गड्डे 10 फीट की दूरी पर 2 फ़ीट गहरे और 2 फ़ीट चौड़े होने चाहिए। इन गड्डों में मिट्टी के साथ गोबर की खाद को अच्छे से मिलाकर भर देना चाहिए। इसकी खेती में इस तरह के सहायक पौधों को जरूर लगाना चाहिए।

चन्दन के पौधों की सिंचाई, कटाई, पैदावार और अनुमानित लाभ
चन्दन के पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है। गर्मियों के मौसम में पौधों में नमी बनाये रखने के लिए दो से तीन दिन में पानी देना चाहिए। इसके अलावा सर्दियों के मौसम में सप्ताह में एक बार पौधों की सिंचाई अवश्य करे। जितना पुराना पौधा, उतना अधिक लाभ: चंदन का पौधा जितना पुराना होता है, उतना ही मूल्यवान होता है। इसके पेड़ की कटाई न करके उसे जड़ से उखाड़ लिया जाता है। चन्दन की कटाई से पहले सरकार से परमिशन लेना होता है। चन्दन के एक विकसित पेड़ से 25 से 40 किलो लकड़ी प्राप्त हो जाती है तथा एक एकड़ के खेत में 400 पौधों को तैयार किया जा सकता है। चंदन की लड़की का वर्तमान बाजारी भाव 6 से 12 हजार रूपए प्रति किलो है। जिससे किसान 25 किलो के एक पेड़ से 10 से 15 वर्षो में 1 से 2 लाख तक की कमाई आसानी से कर सकते हंै, तथा एक एकड़ में तैयार 400 पेड़ों से किसान 5 से 8 करोड़ तक की कमाई करके आसानी से करोड़पति बन सकते हंै।

चंदन की खेती किसानों के लिए एफडी का काम करेगी
अगर रखरखाव समय समय पर खाद पानी का ध्यान रखा जाय तो चंदन की खेती किसानों के लिए एफडी का काम करेगी। उत्तर प्रदेश कृषि छात्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष एवं धरती पुत्र भारत के फाउंडर सरिता अभय शंकर दूबे बताते हैं कि मेरे एक गुजराती मित्र ए सी चौहान जो बड़ोदरा गुजरात से हैं। सोलह वर्ष पहले चंदन का रोपण किया था। उनका चन्दन पिछले वर्ष करीब सात करोड़ में बिका है। उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश के बहुत से साथियों ने इसका पौधरोपण किया है। कुछ साथी भविष्य में लाभ के लिए अपने खाली पड़े प्लाट या खेतों के कुछ हिस्सों में इसका रोपण कर रहे हैं।

सहायक फसलें: चन्दन के पौधों को तैयार होने में 10 से 15 वर्ष का समय लग जाता है। इस दौरान चन्दन के पौधों के मध्य दलहन या बागबानी फसल उगाकर अतिरिक्त कमाई की जा सकती है, जिससे किसानों को आर्थिक लाभ प्राप्त होता है।

भारत विमर्श भोपाल मध्य प्रदेश

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