20 साल पुराने स्कूटर में मां को भारत भ्रमण कराने लेकर निकले कलियुग के श्रवण कुमार
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चित्रकूट – हिंदू धार्मिक ग्रंथों, वेद शास्त्रों और पुराणों में मातृ पितृ भक्त श्रवण कुमार की कथा सुनने को मिलती है कि किस प्रकार से श्रवण कुमार द्वारा अपने अंधे माता पिता को पालकी पर लेकर पैदल चारो धामों की यात्रा कराई गई थी।वर्तमान में कलियुग चल रहा है। इस युग में जिस समय भारतीय संस्कृति और परंपराएं छिन्न भिन्न दिखाई पड़ती हैं।तभी कुछ लोग समाज के बीच से ऐसे निकलकर सामने आ जातें हैं कि बरबस ही उनके लिए दिलों से दुआएं लिकलने लगती हैं।आज हम आपको एक ऐसे ही कलियुग के श्रवण कुमार से मिलवाने वाले हैं कि उन्हें देखकर आप भी कहेंगे, कि क्या दुनिया में ऐसे लोग भी हैं।
कर्नाटक मैसूर के रहने वाले कृष्ण कुमार अपनी वृद्ध मां चूड़ारत्ना जिनकी उम्र इस समय 72 वर्ष है।उन्हे अपने पिता द्वारा 20 वर्ष पहले दिए गए स्कूटर पर भारत भ्रमण कराने के लिए निकले हैं।कृष्ण कुमार अभी तक अपनी मां के साथ स्कूटर पर सवार होकर 66 हजार 720 किलो मीटर की यात्रा कर चुके हैं।इस यात्रा में तीन देशों क्रमशः नेपाल,भूटान और म्यांमार की यात्राएं भी शामिल हैं।अपनी वृद्ध मां चूड़ारत्ना के साथ चित्रकूट पहुंचे कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री 42 वर्षीय कृष्ण कुमार से पूछने पर उनके द्वारा बताया गया कि वो एक मल्टी नेशनल कंपनी में टीम लीडर के रूप में कार्यरत थे।उनका कर्नाटक राज्य के मैसूर में 10 लोगों का संयुक्त परिवार है।जिसमे उनकी मां घर केे सारे काम करती थी। एक दिन कंपनी से घर आकर मेरे द्वारा कुछ प्रमुख मंदिरों के नाम गिनाते हुए मां से पूछा गया कि मां कभी इन मंदिरों के दर्शन करने गई हो।जिस पर मेरी मां ने कहा कि बेटा मैं आज तक अपने घर के पास वाले मंदिर भी नही जा सकी।कृष्ण कुमार बताते हैं कि उन्हें अपनी मां की बात सुनकर बहुत ही दुख हुआ।और तभी मेरे मन में अपनी मां को भारत भ्रमण कराने की इच्छा हुई।मैंने मां से कहा कि मां,मैं तुझे सारे देश के मंदिरों का दर्शन भ्रमण कराऊंगा।इसके बाद मेरे द्वारा नौकरी से त्याग पत्र दे दिया गया।और स्वर्गीय पिता के द्वारा 20 साल पहले दिए गए स्कूटर में सवार होकर 16 जनवरी 2018 को मां के साथ भारत भ्रमण प्रारंभ कर दिया गया।यहां यह उल्लेख करना उचित होगा कि मां के सपने को पूरा करने के लिए कृष्ण कुमार द्वारा आजीवन ब्रह्मचारी अथवा अविवाहित रहने का निर्णय ले लिया गया।यह पूछने पर कि आप समाज को खासकर युवाओं को क्या संदेश देना चाहेंगे,इस पर कृष्ण कुमार ने कहा कि माता पिता धरती के भगवान हैं।माता पिता हमें जन्म देते हुए जिस प्रकार हमारा लालन पालन करते हैं,उसी प्रकार से हमे भी अपने माता पिता का वृद्धावस्था में लालन पालन करना चाहिए।उन्होंने कहा कि कुछ लोग घर मे माता पिता की फोटो लगाकर उस चंदन टीका लगाते हैं।उससे कुछ भी नहीं होने वाला है।हमें कोशिश करनी चाहिए कि जिस प्रकार माता पिता बचपन में हमारा खयाल रखते हैं,वृद्धावस्था में हमे अपने माता पिता का खयाल रखना चाहिए।

जावेद मोहम्मद विशेष संवाददाता भारत विमर्श चित्रकूट म०प्र०