किसान प्राकृतिक खेती करें कमल पटेल कृषि मंत्री
1 min readचित्रकूट – महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में चल रही भविष्य की कृषि तकनीकी, प्राकृतिक खेती और वैश्विक खाद्य विपढन नीति विषयक दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का समापन आज मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने किया।विशिष्ट अतिथि कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के कुलपति डॉ अरविंद कुमार शुक्ल रहे।अध्यक्षता कुलपति प्रो भरत मिश्रा ने किया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि व कृषि मंत्री कमल पटेल ने अनेक कृषि वैज्ञानिकों और शोध कार्य में लगे विद्यार्थियों को अवार्ड प्रदान करने के साथ ही अपने मार्गदर्शक उदबोधन में कृषि के विद्यार्थियों को सलाह दिया कि वे अपनी पढ़ाई की सार्थकता के लिए अपने को केवल नौकरी तक ही सीमित न रखें बल्कि अपने ज्ञान का उपयोग रासायनिक उर्वरक , कीटनाशक दवा से दूर प्राकृतिक खेती को बढ़ाने में करें। श्री पटेल ने कहा कि कृषि के विद्यार्थियों के सकारात्मक प्रयास से मानव जीवन को नुकसान रहित खाद्य सामग्री मिलेगी और किसानों की आर्थिक समृद्धि भी होगी।
उन्होंने उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हमारा प्रयास पोषक अन्न के उत्पादन के लिए होना चाहिए तभी हम बीमारियों के चपेट में आने से बच सकेंगे।उन्होंनेसत्ता परिवर्तन से व्यवस्था परिवर्तन के उदाहरणों को बताते कहा कि आजादी के अमृत काल मे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सकारात्मक सोच और उनकी कार्यशैली का परिणाम है कि आज पोषक अन्न के रूप में मोटे अनाज के प्रभाव को पूरी दुनिया मान रही है।कृषि मंत्री ने आव्हान किया कि किसान प्राकृतिक खेती को करें और मूल्य संबर्धन के लिए कृषि वैज्ञानिक उपाय खोजे तभी किसान एमएसपी के स्थान पर एमआरपी का निर्धारण कर सकेगा।
विशिष्ट अतिथि व कुलपति डॉ अरविंद कुमार शुक्ला,ग्वालियर ने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है।कृषि के स्तंभ को मजबूत किये बगैर हम आत्मनिर्भर नही बन सकते।डॉ शुक्ला ने खेती में उर्वरकों के बढ़ते उपयोग के प्रति चिंता व्यक्त की है।
अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो भरत मिश्रा,चित्रकूट ने कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के उपायों के सृजन की दिशा में ग्रामोदय विश्वविद्यालय अनुसंधान कर रहा है।अगले साल ग्रामोदय कृषि फार्म में अनुसंधान निष्कर्ष पर प्राकृतिक खेती के नवाचार किये जायेंगे।
इसके पूर्व समन्वयक प्रो डीपी राय ने स्वागत भाषण दिया और आयोजन सचिव डॉ रामचंद्र ने दो दिनों तक सम्पन्न तकनीकी सत्रों की आख्या प्रस्तुत की। संचालन डॉ पावन सिरोठिया ने किया।
जावेद मोहम्मद विशेष संवाददाता भारत विमर्श चित्रकूट म०प्र०