मैहर की शारदा सक्ति पीठ के त्रिकूट पर्वत पर गिरा था माई का हार जहाँ लगती है भक्तों की भीड़
1 min readसतना – आज से शारदे नवरात्री शुरू हो गयी है और देश भर के शक्ति पीठों में मांता के दरबार मे भक्तों का जन सैलाब उमड़ने लगा है मध्य प्रदेश के सतना जिले के मैहर शक्ति पीठ में भी पहले ही दिन लाखो की संख्या में श्रद्धालु पहुँचे है जहाँ सुबह 3 बजे से मां शारदा सक्ति पीठ में श्रृंगार एवम आरती हुई है जहाँ हजारों की संख्या में लोग दर्शन कर चुके है ।कानून एवम सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से 6 कार्यपालिक मजिस्ट्रेड नियुक्त किये गये है और 13 सौ पुलिस जवान तैनात है। भारी चाक चौबंद व्यवस्था के बीच 50 हजार से अधिक की संख्या में भक्तों ने दर्शन के लिए सीढ़ियों व रोपवे से भक्त माँ के दरबार पर पहुँच चुके है जहां दर्शन के लिये तांता लगा हुआ है।जिला प्रशासन के मुताबिक पहले दिन ही लाखो की संख्या में भक्तों के आने की उम्मीद है जिसको लेकर भारी चाक चौबंद इंतजाम किए गये है
विओ:-मध्य प्रदेश के सतना जिले का प्रसिद्ध मैहर की माँ शारदा सक्ति पीठ किसी परिचय की मोहताज नहीं है, लोक मान्यता है कि माता सती के गले का हार इसी त्रिकूट पर्वत पर गिरा था जो माई हार के नाम से जाना जाता था जो अपभ्रंस होकर मैहर हो गया । यहाँ देश
ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु भक्त मुराद मांगने माँ के दरबार हाजिरी लगाने आते है, कहते है माँ किसी भी भक्त को खाली हांथ नही लौटती है, यही कारण रहा है कि दरबार मे श्रद्धालु भक्तो का तांता लगा रहता है, क्या राजा क्या रंक सभी माँ डेहरी में माथा टेकते दिखते है, नेता अभिनेता और कलाकरो ने भी माँ डेहरी से ही विश्व प्रसिद्धि पायी है, नवरात्रि में यहां रोजाना कई लाख श्रद्धालु आते है, शासन प्रशासन और मंदिर प्रबंधन द्वारा सुरक्षा के भारी इंतजाम किये जाते है। किवदंती है कि माँ शारदा से अमरता का वरदान प्राप्त भक्त आल्हा प्राचीन काल से लेकर आज भी रोज़ाना माँ की प्रथम पूजा करते है, आज भी ब्रम्ह मुहूर्त में पुजारी द्वारा पठ खोंलने पर माँ का श्रृंगार और माँ के चरणों मे पूजा के फूल चढ़े हुए मिलते है ।प्रधान पुजारी बताते है कि मैहर वाली माँ शारदा की प्रतिमा दसवीं शताब्दी की है, ग्रंथ बताते है कि आकाश मार्ग से भगवान शंकर जब माता सती की अध-जली हालात में पार्थिव शरीर लेकर भटक रहे थे तब मैहर के इसी त्रिकूट पर्वत की चोटी में माँ के गले का हार गिरा था, माँ का हार गिरने से कस्बे का नाम ‘माई हार’ पढ़ गया, और बोलचाल की भाषा मे धीरे धीरे कस्बे का नाम मैहर हो गया, नवरात्रि मे प्रतिदिन कई लाख श्रद्धालु यहां आते है और दरबार मे मन मे मुराद पाने के लिये लिये जन सैलाब उमड़ा रहता है, जनश्रुति है कि माँ अपने हर भक्तों की मनोकामना पूरी करती है ।
विओ:-कहा जाता है पुलिस चौबीसों घंटे मंदिर सुरक्षा और श्रद्धालुओं के सुगम दर्शन हेतु तैनात रहते है, पुजारी बताते है आल्हा आज भी माँ के प्रथम दर्शन और पूजा करते है, सुबह मंदिर खोलते ही गर्भ गृह मे जलती अगरबत्ती और माँ के चरणों मे फूल मिलता है, जबकि माँ के गर्भ गृह को रोज़ाना कई तालो में बंदकर सुरक्षित किया जाता है, दूर दराज से आए श्रद्धालु जयकारे के साथ हजारों सीढ़ियाँ चढने का जज्बा श्रद्धा आस्था देखते ही बनाती है, नवरात्रि में 24 घंटे लाइन में खड़े रहने के बाद श्रद्धालुओ के दर्शन नसीब होते है, परेशानी सहन करते हुये भक्त हर हाल में माँ के दर्शन करते है, शारीरिक अक्षम वृद्ध और विकलांग भक्त सैकड़ो सीढियां होने से माँ के दर्शन नही कर पाते थे लेकिन लिये रोप-वे सुविधा वरदान साबित हुई है, पैदल सीढ़ी सड़क वैन और रोपवे से मंदिर तक जाने की सुविधा मुहैया है, सुरक्षा हेतु मंदिर के अलावा पूरे शारदा धाम में सीसीटीवी कैमरे से नज़र रखी जाती है, पुजारी जी बताते है कि कई बार सुबह मंदिर के पठ खोलते ही जलती हुई अगरबत्ती और माँ के चरणों मे चढ़े हुये फूल से आल्हा के प्रथम दर्शन के प्रमाण अपनी आँखों से देखा है, वे बताते है नवरात्रि के सात दिन रोजाना माँ अपना रंग और स्वरूप बदलती है, पुजारी जी माँ की महिमा का बखान करते नही थकते, वही भक्तो में माँ की दीवानगी देखने को मिलती है, धनवान नेता हो या अभिनेता सभी माँ के दरबार मे माथा टेकते दिखते है।
आहेश लारिया ब्यूरोचीफ भारत विमर्श सतना म०प्र०