चित्रकूट में मंदाकिनी और पयस्विनी नदी के किनारे ग्रामोदय द्वारा 125 पेड़ों का रोपण
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चित्रकूट- गौरव दिवस पर महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो भरत मिश्रा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समक्ष संकल्प लिया था कि चित्रकूट क्षेत्र की पवित्र सलिलाओं मंदाकिनी व पयस्विनी के दोनों किनारों पर 1000 पेड़ों को रोपण कर चित्रकूट के विकास में अपनी सक्रिय भूमिका को प्रदर्शित करेगें।ग्रामोदय विश्वविद्यालय के इस संकल्प को यथार्थ का धरातल प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा प्राणवायु पुरस्कार से सम्मानित विज्ञान एवं पर्यावरण संकाय के प्राध्यापक प्रो घनश्याम गुप्ता सतत प्रयत्नशील है। 12 सितम्बर, 2022 को कुलपति प्रो भरत मिश्रा की अगुवाई में 125 विभिन्न प्रजातियों के पौधों का रोपण पवित्र सलिला पयस्वनी के उद्गम स्थल ब्रह्म कुंड के आसपास रोपित किए गए।
ग्रामोदय विवि की ओर से संकल्पित वृक्ष रोपण कार्यक्रम के संयोजक प्रो गुप्ता के अनुसार रोपित इन पेड़ों में मुख्य रूप से जामुन,शीशम,गूलर, पाकर, सागौन,इत्यादि के थे , जिसमें विज्ञान एवं पर्यावरण के संकाय के छात्रों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
प्रो गुप्ता ने बताया कि चित्रकूट में पूर्व में 3 नदियां प्रभावित होती थी, जिन्हें मंदाकिनी, सरयू व पयस्वनी नाम से जाना जाता है। चित्रकूट के जंगलों व पर्वतों को जनमानस की उपेक्षाओं का शिकार होना पड़ा। फलत: चित्रकूट की दो नदियां सरयू व पयस्वनी आज अपना अस्तित्व खो बैठीं हैं।
प्रो गुप्ता के अनुसार किसी भी नदी को पुनर्जीवित करने का प्रभावी उपाय यह है कि नदी के भराव क्षेत्र में जल संभरण के कार्यक्रम चलाए जाएं इस जल संभरण कार्यक्रम में मुख्य रूप से दो काम किए जाते हैं एक तो वहां पर वृक्षारोपण किया जाता है एवं दूसरा नदी की ऊर्ध्व धारा में चेक डैम, स्टॉप डैम,इत्यादि बनाए जाते हैं ताकि वर्षा का जल वहां पर एकत्र होकर नदी को रिचार्ज कर सके।ग्रामोदय विश्वविद्यालय पयस्वनी नदी के पुनर्जीवित को लेकर कृत संकल्पित है।फलतः मंदाकिनी नदी के साथ साथ पयस्वनी नदी के किनारों पर वृक्षों का रोपण किया गया एव शेष वृक्षों को भी संकल्प के अनुरूप रोपण किया जाएगा।
प्रो गुप्ता ने कहा कि नदी के ऊर्ध्व धारा में कम से कम दो चेक डैम बनवाए जाने हेतु जिला प्रशासन से मांग की जाएगी ताकि चित्रकूट की यह पवित्र सलिला जीवित हो सके। चित्रकूट में अभी केवल मंदाकिनी प्रवाहित हो रही हैं, उसी को चित्रकूट की जीवन रेखा कहते हैं, यदि हम पयस्वनी को जीवित कर लेते हैं, तो हमारे पास दो-दो जीवन रेखाएं हो जाएंगी। उन्होंने विगत वर्ष जिला प्रशासन द्वारा नदी के जीर्णोद्धार का कार्य किया गया था उक्त कार्यक्रम के तहत ब्रह्म कुंड से लेकर राम घाट तक पयस्वनी नदी की सफाई की गई थी तथा बीच में पड़ने वाले अतिक्रमण को हटाया गया था हालांकि उक्त काम पूरी तरह से संपन्न नहीं हो सका और आशा है कि बरसात के बाद पुनः यह काम शासन द्वारा कराया जाएगा । ये 3 नदियां सरयू ,पयस्वनी व मंदाकिनी रामघाट के पास राघव प्रयाग घाट में मिलती है। यह एक अत्यंत पवित्र स्थान है। भगवान राम ने त्रेता युग में अपने पूज्य पिता स्वर्गीय राजा दशरथ का पिंडदान इसी घाट पर किया था।

जावेद मोहम्मद विशेष संवाददाता भारत विमर्श चित्रकूट म०प्र०