April 26, 2024

चार गांजा कारोबारियों को दस-दस वर्ष सश्रम कारावास की सजा

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चित्रकूट-  93 किलो गांजा के साथ पकड़े गए गांजा कारोबारी और उसके तीन साथियों को एनडीपीएस एक्ट में दोषसिद्ध होने पर न्यायालय ने दस-दस वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई। साथ ही प्रत्येक आरोपी को एक-एक लाख रुपये अर्थदंड से भी दंडित किया गया।
सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी गोपाल दास एवं सुशील सिंह ने बताया कि चार जुलाई 2014 को तत्कालीन रैपुरा थाना प्रभारी शशींद्र प्रकाश शुक्ल पुलिस टीम के साथ बोड़ी पोखरी चौराहे पर वाहन चेकिंग कर रहे थे। इस दौरान कर्वी की ओर से आ रही एक कार को रोका गया किंतु चालक ने गाड़ी को आगे बढ़ाने का प्रयास किया। कुछ दूर आगे बढ़ने पर पुलिस ने गाड़ी रुकवा ली। वाहन से चालक और दो लोग नीचे उतरे, जिसमें दो लोग कागज दिखाने के बहाने मौके पर खिसक गए और तीसरे व्यक्ति बांदा जिले के मर्दन नाका निवासी फहीम खां पुत्र मुन्नू को संदेह होने पर पुलिस ने पकड़ लिया। साथ ही गाड़ी में अलग-अलग पैकेटों में रखा 93 किलो गांजा भी बरामद कर लिया। फहीम ने बताया कि वाहन से उतरकर भागने वाले बांदा जिले के तिंदवारा गांव के निवासी शोभित सिंह पुत्र धनराज और राजेश कुमार गुप्ता पुत्र उमाशंकर हैं। पकड़ी गई गाड़ी बांदा के छोटी बड़ोखर गांव के निवासी दीपू दुबे पुत्र नन्हू लाल की है। पुलिस को फहीम ने बताया था कि वे सभी लोग मिलकर गांजा बेचते हैं। इससे मिला पैसा खर्च निकालने के बाद आपस में बांट लेते हैं। गाड़ी में रखे गांजे को लेकर वे लोग आजमगढ़ बेचने को जा रहे थे। फहीम की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने इस मामले में धारा 8/20 ख (ई) स्वापक औषधि एवं मनोत्तेजक पदार्थ अधिनियम 1985 एनडीपीएस एक्ट के तहत चारों आरोपियों के विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया था। पुलिस अधीक्षक अतुल शर्मा के निर्देश पर अपराधियों के विरुद्ध न्यायालय में की जा रही प्रभावी पैरवी के क्रम में पुलिस टीम ने समय से गवाहों को न्यायालय में पेश कराया था। बचाव और अभियोजन पक्ष के अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद विशेष  न्यायाधीश एनडीपीएस एक्ट अपर सत्र न्यायाधीश विनीत नारायण पांडेय ने शुक्रवार को निर्णय सुनाया, जिसमें एनडीपीएस एक्ट के तहत दोषसिद्ध होने पर चारों आरोपियों को दस-दस वर्ष सश्रम कारावास और एक-एक लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई। न्यायालय के निर्णय के बाद चारों आरोपियों को सजा भुगतने के लिए जिला कारागार भेज दिया गया।

सुभाष चंद्र ब्यूरोचीफ भारत विमर्श चित्रकूट उ०प्र०

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