कागजों में चल रहीं गौशालाए सड़कों में भटक रहा गौेवंश
1 min readपन्ना – पन्ना जिले में दर दर भटकते आवारा गोवंश को सुरक्षित एवं संरक्षित करने के लिए राज्य शासन के निर्देश पर लगभग 2 दर्जन से अधिक सर्व सुविधा युक्त स्मार्ट गौशालाओं का निर्माण विगत लगभग एक वर्ष पूर्व पूर्ण हो चुका है, जिनमें से लगभग 75 प्रतिशत का गौ संवर्धन बोर्ड से पंजीयन और स्व सहायता समूह ग्राम पंचायत स्वयंसेवी संस्था आदि से संचालन हेतु अनुबंध भी होने की जानकारी सामने आई है, नई गौशालाओं के निर्माण का भूमिपूजन और लोकार्पण भी जारी है 14 सितंबर 2021 को भी पन्ना जिले के अजयगढ़ जनपद अंतर्गत ग्राम बीहर पुरवा में नवनिर्मित गौशाला का लोकार्पण किया गया, वहीं शहरी क्षेत्रों में नगरी प्रशासन की गौशालाएं भी संचालित हैं, जिनमें लाखों रुपए गोवंश के संरक्षण, खानपान एवं रखरखाव में खर्च हो रहा है जिनकी जमीनी हकीकत पर नजर डाली जाए तो अधिकांश गौशालाएं कागजों तक सीमित हैं जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा ध्यान नहीं दिए जाने का नतीजा गोवंश के नाम पर भारी धांधली और भ्रष्टाचार जारी है और गोवंश दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है,
आए दिन हो रही दुर्धटनाये
प्रशासनिक उदासीनता का शिकार गोवंश दर-दर की ठोकरें खाते हुए आए दिन दुर्घटनाओं का शिकार हो रहा है अनगिनत संख्या में बीमार और घायल अवस्था में भटकते देखा जा रहा है जिसके उपचार एवं भोजन की व्यवस्था जिम्मेदारों द्वारा नहीं उठाई जा रही कुछेक समाजसेवियों द्वारा घायल और बीमार गोवंश के उपचार की जिम्मेदारी निभाई जा रही है जो जिले के हजारों गोवंश के लिए ना काफी है ।
कलेक्टर के निर्देशों को ठेंगा
हालांकि इस मामले को कलेक्टर संजय कुमार मिश्र द्वारा गंभीरता से लेते हुए 24 घंटे के अंदर अपने-अपने गौशाला क्षेत्र मैं सड़कों में आवारा भटकने वाले गोवंश को सड़कों से हटा कर गोवंश में पहुंचाने के लिए विगत दिनों निर्देश दिए गए थे जिसे जिम्मेदारों द्वारा ठेंगा दिखाते हुए एक भी गोवंश को सड़कों से हटा कर गौशाला में नहीं पहुंचाया गया, जिसके चलते पन्ना नगर सहित अजयगढ़, देवेंद्रनगर, अमानगंज, गुनौर, पवई जैसे नगरीय क्षेत्रों और सलेहा, मोहंद्रा, रैपुरा जैसे कस्बों में आवारा गोवंश को भटकते आसानी से देखा जा रहा है,
गोवंश के साथ-साथ किसानों को भी नुकसान
नगरीय क्षेत्रों में गोवंश कचरे के ढेर से खाद्य सामग्री ढूंढ कर और बाजार में निकलने वाले सब्जियों के बेस्ट से अपना पेट भरते हैं, नगरीय क्षेत्रों और हाईवे में सर्वाधिक गोवंश दुर्घटना का शिकार हो रहा है वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों में गोवंश सड़कों में दुर्घटना का शिकार होता है तो रात में खेतों में पहुंचकर किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाता है इस प्रकार गोवंश और किसानों को दोनों को नुकसान उठाना पड़ रहा है जिले में मनरेगा योजना के करोड़ों रुपए से 2 दर्जन से अधिक गौशालाओं का निर्माण होने के बाद भी गोवंश की दुर्गति प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रही है इसके बावजूद जिम्मेदार हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं ।
संदीप विश्वकर्मा ब्यूरोचीफ भारत विमर्श पन्ना म०प्र०