May 5, 2024

हिन्दी का वैश्विक विस्तार

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सर्वेश तिवारी ( लेखक सामाजिक संस्थान – सक्षम चंपारण के संस्थापक हैं )

आज हिन्दी दिवस है, हमारी और आपकी आम बोलचाल की भाषा। एक ऐसी भाषा जिसमें मां का प्यार और पिता का दुलार सीधे दिल को छूता है। मां- बाबूजी की डांट और भाई-बहन की लड़ाई भी इस भाषा की खुबसूरती को बढ़ा देती है ।

हिन्दी को 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा देश की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी गयी थी। तबसे लेकर आज तक हिन्दी भाषा, भाषा विज्ञानियों के बहस के केंद्र में रही है। संस्कृत को दुनिया की पहली भाषा मानते हैं। जिस हिन्दी को आज हम बोल, सुन और पढ़ रहे हैं, वो 3400 साल में बनी है। 1500 ईसा पूर्व में हिन्दी की मातृ भाषा कही जाने वाली संस्कृत की शुरुआत हुई थी। 1900 ई. में हिन्दी खड़ी बोली में लिखने-पढ़ने की शुरुआत हुयी। लेकिन इतनी तेजी से फैली कि पूरी दुनिया में समझी जाने वाली भाषा बन गई। भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में 22 भाषाओं असमिया, बांग्ला, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगू, उर्दू, बोडो, संथाली, मैथिली और डोगरी के साथ हिन्दी भी शामिल है। हिन्दी जनसंख्या के एक बड़े भूभाग मे बोली जाने वाली सबसे बड़ी भाषा है। इसके साथ ही अनेक क्षेत्रीय भाषाएँ भी अपने-अपने क्षेत्रों में बृहद रूप से व्यावहारिक उपयोग में आती हैं । हिन्दी लोगों को जोड़ने की भाषा के रूप में भी जानी जाती है। यह भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक है तथा मंदारिन, स्पेनिश और अंग्रेजी के बाद दुनिया में चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। भारत हमेशा से विविधताओं का देश रहा है, यहां सैकड़ों भाषाएं और बोलियां बोली जाती है। राष्ट्रभाषा के रूप में किस भाषा को चुना जाए यह एक बड़ा मुद्दा था। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया था कि हिंदी भारत की राजभाषा होगी। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस दिन के महत्व देखते हुए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाए जाने का ऐलान किया। पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था। गांधी जी ने हिन्दी को आम जन की भाषा कहा था। आज़ादी की लड़ाई में हिन्दी के योगदान और उसके महत्व को भी देखा जा सकता है। अनेक क्रांतिकारियों ने पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से हिन्दी में लिखकर लोगों में आज़ादी का अलख जगाए। हिन्दी जनसामान्य की भाषा बन गयी और धीरे-धीरे वह अपनी अगली यात्रा पर निकल गयी। आज हम लोग जिस हिन्दी को आम बोलचाल में प्रयोग करते हैं यह हिन्दी की स्वीकार्यता एवं सर्वग्राहिता को दर्शाता है। क्योंकि हमारे समाज में   ब्रज, अवधि, उर्दू, अंग्रेजी , फ़ारसी भाषाओं का प्रभाव बहुत अधिक रहा है, और हिन्दी इन सभी भाषाओं में प्रयुक्त शब्दों को भी अपने शृंगार में प्रयोग करती है। इसलिए यह सर्वग्राही है और जन सामान्य की आम बोलचाल की भाषा में आसानी से घुल मिल जाते हैं। यदि हिन्दी में बहुत क्लिष्ट शब्दों का प्रयोग किया जाये तो फिर यह लोगों को स्वीकार्य नहीं हो पाएगी। हमें हिन्दी भाषा और इसकी देवनागरी लिपि को जनसामान्य की भाषा बनाने पर ज़ोर देना है। यदि देश की जनसंख्या, बढ़ता हुआ बाज़ार एवं विकासशील अर्थव्यवस्था को देखें तो धीरे-धीरे ही सही हिन्दी व्यावहारिक रूप से प्रासंगिक होती जा रही है। सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव और यूट्यूब की बढ़ती लोकप्रियता हिन्दी के विकास में अपना अहम योगदान दे रहे हैं। हिन्दी के विकास और व्यापक बनाने के लिए, अनेक देशों में अपनी मातृ भाषा में व्यावसायिक शिक्षा की पढ़ाई से प्रेरित होकर भारत में भी हिंदी माध्यम से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की शुरुआत की गई । भोपाल स्थित अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय ने वर्ष 2016 में यह शुरुआत की गयी थी। यह देश का पहला विश्वविद्यालय है जिसने केवल हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की थी। हिन्दी के विकास में साहित्य, फिल्म के साथ ही इंटरनेट की भूमिका को भी बहुत महत्वपूर्ण स्थान देते हैं। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण के आंकड़ों से पता चलता है (ट्राई) देश में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की कुल संख्या दिसंबर 2020 के अंत में 795.18 मिलियन से बढ़कर मार्च 2021 के अंत में 825.30 मिलियन हो गयी। हालांकि शहरी उपभोक्ता इंटरनेट का उपयोग ज्यादा करते हैं लेकिन अब बेहतर कनेक्टिविटी और सस्ते डाटा प्लान के कारण ग्रामीण भारत में भी उपभोक्ताओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। हिन्दी का वैश्विक प्रभाव यह है कि जब पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू, अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनकी पत्नी मिशेल ओबामा भारत आए तो हिन्दी में बोलकर अपने बात की शुरुआत की। कई देशों के विदेश विभाग के ट्विटर हैंडल को आप देख सकते हैं, जो भारत के किसी पर्व पर अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडेल पर हिन्दी में शुभकामना संदेश देते हैं। यह हिन्दी की बढ़ती लोकप्रियता का बस एक उदाहरण है। हिन्दी जन सामान्य की भाषा के साथ ही भारतीय फिल्म इंडस्ट्री, मीडिया इंडस्ट्री की रीढ़ की हड्डी है। वर्तमान में ओटीटी प्लेटफार्म पर सबसे ज्यादा हिन्दी वेबसीरीज देखे जा रहे हैं, दक्षिण भारत की अनेक भाषाओं की फिल्में, मराठी फिल्में हिन्दी में डब होकर प्रसारित की जा रही हैं। यही नहीं हॉलीवुड की फिल्में अब भारत के लोगों को ध्यान में रख कर बनाई जाने लगी हैं, साथ ही कई भाषाओं के साथ हिन्दी भाषा में रिलीज होती हैं। जिससे इन्हें एक बड़ा दर्शक वर्ग मिलता है। इसलिए हिन्दी की पहचान और स्वीकार्यता राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती जा रही है।   आज दुनिया के 176 विश्वविद्यालयों में हिन्दी एक विषय के तौर पर पढ़ाई जाती है। विदेश के हजारों छात्र हिन्दी पढ़ना और बोलना सीख रहे हैं। हिन्दी की खास बात यह है कि इसमें जिस शब्द को जिस तरह से उच्चारित किया जाता है, उसी तरह लिखा भी जाता है। हिन्दी शब्दों ‘अच्छा’, ‘बड़ा दिन’, ‘बच्चा’, ‘सूर्य नमस्कार’ और यहा तक कि संविधान और आत्मनिर्भर जैसे शब्दों को भी ऑक्सफर्ड डिक्शनरी में शामिल किया गया है। हिन्दी भाषा मॉरीशस, फिजी, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो और नेपाल जैसे देशों में भी बोली जाती है। साउथ पैसिफिक महासागर में बसे द्वीप देश फिजी में हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। इसे फ़िजियन हिन्दी या फ़िजियन हिन्दुस्तानी भी कहते हैं। हिन्दी की व्यापकता और पहचान बढ़ रही है, यह हमारे देश की संस्कृति और परंपरा को प्रसारित करने का माध्यम बन गयी है। हम सभी को मिलकर इसकी पहचान को वैश्विक स्तर पर ले जाने के लिए मिलकर प्रयास करना चाहिए। आप सभी पाठकों को हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ !

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