चित्रकूट आए प्रख्यात चिंतक गोविंदाचार्य, आमजन और धर्म प्रेमियों से की मुलाकात
1 min readचित्रकूट- प्रसिद्ध चिंतक एवं विचारक श्री केएन गोविंदाचार्य ने कहा है कि भारत की असली ताकत प्रकृति में है और प्रकृति की अनदेखी से किसी देश का विकास संभव नहीं है। शनिवार को चित्रकूट पहुंचे गोविंदाचार्य ने भारतरत्न नानाजी देशमुख के आवास सियाराम कुटीर पहुंचकर उनके कक्ष में जाकर नानाजी की प्रतिमा के समक्ष अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस दौरान दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव श्री अतुल जैन एवं कार्यकर्ताओं द्वारा श्री गोविंदाचार्य का स्वागत किया गया। वह यमुना दर्शन यात्रा एवं प्रकृति केंद्रित विकास संवाद कार्यक्रम के तहत भ्रमण पर हैं। श्री गोविंदाचार्य बांदा से अतर्रा, शिवरामपुर, बेड़ी पुलिया होते हुए चित्रकूट पहुंचे। वहां दीनदयाल शोध संस्थान एवं राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संयोजन में प्रकृति केंद्रित विकास संवाद कार्यक्रम के तहत उन्होंने मंदाकिनी नदी के किनारे बसे लोगों से भी बातचीत की। यहां पर लोगों को प्रकृति संरक्षा का संदेश देने के साथ उसकी उपयोगिता से परिचित कराया और प्रकृति की अनदेखी से होने वाले संभावित नुकसान भी बताए।
नगर पंचायत चित्रकूट कार्यालय के समीप मंदाकिनी घाट पर आयोजित कार्यक्रम में श्री केएन गोविंदाचार्य, रामायण कुटी के महंत श्री राम ह्रदय दास जी महाराज, सर्वोदय सेवा संस्थान के श्री अभिमन्यु सिंह, ग्रामोदय विश्वविद्यालय के प्राध्यापक प्रोफेसर भरत मिश्रा, दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव श्री अतुल जैन प्रमुख रूप से मंचासीन रहे।कार्यक्रम का संचालन करते हुए दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव श्री अतुल जैन ने कहा कि गोविंदाचार्य जी ने 28 अगस्त से उत्तराखंड से शुरू यमुना दर्शन यात्रा के तहत 18 दिन की इस यात्रा में 1000 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए 14 सितंबर को प्रयागराज में उसका समापन होगा। प्रकृति के साथ हम कुछ ज्यादा छेड़छाड़ कर रहे हैं उसके दुष्परिणाम भी दिखाई दे रहे हैं। प्रकृति केंद्रित विकास के लिए गोविंदाचार्य जी पिछले कई वर्षों से अलग जगाए हुए हैं। भारत के विकास की जो भारतीय दिशा होनी चाहिए उसके लिए एक लंबी लड़ाई लड़ रहे हैं। सर्वोदय सेवा संस्थान के श्री अभिमन्यु सिंह ने कहा कि सरकार क्या पूरे विश्व में विकास की अवधारणा में सामंजस्य नहीं है। विकास की योजना बनाते समय प्रकृति के साथ समभाव होना जरूरी है। अपनी आशीर्वचन में श्री राम ह्रदय दास जी महाराज ने कहा कि भगवान श्री राम जब चित्रकूट आए थे तो उन्होंने लक्ष्मण जी से कहा था हम तीर्थ क्षेत्र में आए हैं तो हमें यहां की मर्यादा के हिसाब से निवास करना है। श्रद्धेय नानाजी भी जब चित्रकूट पधारे तो उन्होंने चित्रकूट के मौलिक स्वरूप को बनाए रखते हुए चित्रकूट का विकास किया। उनके किसी भी प्रकल्प में जाकर देखें तो उसमें ऐसा दर्शन होता है, उन्होंने चित्रकूट के किसी स्वरूप को नहीं छेड़ा। यदि कहीं से भगवान कामदगिरि के दर्शन हो रहे हैं अगर तीसरी मंजिल से भगवान के दर्शन ओझल हो रहे हैं तो उन्होंने तीसरी मंजिल को गिरा दिया।
अपने उद्बोधन में श्री गोविंदाचार्य ने कहा कि भारत की असली ताकत प्रकृति है और प्रकृति की अनदेखी करके देश का विकास संभव नहीं हो सकता है। कहा कि प्रकृति को ध्यान में रखकर देश का विकास करना होगा अन्यथा प्राकृतिक आपदाओं का बढ़ना स्वाभाविक है। 2030 तक अगर जल, जंगल, जमीन और जानवर की स्थिति की देखरेख-खोज खबर नहीं ली गई तो स्थिति बेलगाम हो जाएगी। पिछले 60 वर्षों में पेड़ पौधे और जड़ी बूटियां 50% लोप हो चुकी हैं। 200 वर्ष पहले भारत दुनिया का सबसे समृद्ध देश था। पहले एक आदमी पर लगभग 8 गोवंश थे, आज 8 आदमी पर एक गोवंश बचा है। शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका के साधन कम हुए हैं। क्योंकि हमने विकास की जगह विनाश का साथ दिया है। विकास जब होगा जब प्रत्येक बच्चे को प्रतिदिन उसकी आवश्यकता के अनुरूप दूध, हरी सब्जियां, फल और अन्न प्रतिदिन पर्याप्त मात्रा में मिले।
उन्होंने कहा कि नानाजी का मानना था कि सामाजिक कार्यकर्ता को व्यस्त रहना चाहिए, व्यस्त दिखना नहीं चाहिए। बीमार व्यक्ति सहानुभूति तो दे सकता है लेकिन कार्य की प्रेरणा नहीं दे सकता। इसीलिए सबसे पहले है निरोगी काया। ऐसी ही कई बातों को लेकर उन्होंने दीनदयाल शोध संस्थान को संचालित किया। समाज आगे, सत्ता पीछे तभी होगा स्वस्थ विकास। उसी आधार पर नाना जी ने अपना संपूर्ण जीवन जिया।
सुभाष पटेल की रिपोर्ट के अनुसार जावेद मोहम्मद विशेष संवाददाता भारत विमर्श चित्रकूट म०प्र०