हाईकोर्ट ने पूजा पंडालों में जाने से लगाई रोक, सिर्फ चुने हुए सदस्यों को ही मिलेगी एंट्री
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पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा त्यौहार भी कोरोना की बली चढ़ गया है। कोरोना संकट को देखते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने सभी पूजा पंडालों को नो एंट्री जोन घोषित कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि पूरे राज्य में दुर्गा पूजा पंडाल में आम लोगों को एंट्री नहीं दी जाएगी। हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि पंडाल में केवल आयोजकों की एंट्री होगी, और पंडाल के बाहर आयोजकों के नाम का उल्लेख किया जाना चाहिए। पंडाल परिसर में अधिकतम 25 सदस्यों की अनुमति होगी, कोर्ट ने कहा कि पंडाल में जाने वाले आयोजकों के नाम और संख्या फिक्स होगी और इसे रोज बदला नहीं जा सकता है।
जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने नए प्रतिबंधों को लेकर यह आदेश दिया है, जो तुरंत प्रभाव से लागू किए गए हैं। जजों ने इस बात पर भी निराशा जाहिर की कि राज्य सरकार उत्सव के दौरान कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कोर्ट की ओर से जारी दिशा-निर्देशों को लागू करने की योजना पर काम नहीं किया।
बता दें कि आदेश के मुताबिक पूजा पंडाल को कंटेनमेंट जोन माना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि पुलिसकर्मी इस पर नजर रखेंगे कि आयोजकों द्वारा आदेश का ठीक तरीके से पालन किया जाए। पश्चिम बंगाल के डीजीपी और कोलकाता के पुलिस आयुक्त को इसे लेकर कोर्ट को रिपोर्ट सौंपनी है। बंगाल में 30 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजा है और इससे पहले कोर्ट में सरकार को रिपोर्ट दाखिल करनी होगी। बता दें कि राज्य के डॉक्टरों और मेडिकल क्षेत्र के लोगों ने बंगाल सरकार से बार-बार अनुरोध किया था कि वो कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए, वरना महामारी विकराल रूप ले सकती है।
ममता ने साधा था विपक्ष पर निशाना
पिछले महीने, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस साल पूजा आयोजित करने की योजना की घोषणा की थी। विपक्ष का नाम लिए बगैर, ममता ने कहा था कि “हम इस वर्ष दुर्गा पूजा का आयोजन जरूर करेंगे। हमें किसी भी कीमत पर भीड़ से बचना होगा क्योंकि अगर हम पूजा की अनुमति नहीं देते हैं या इसे लेकर यदि कोई विवाद होता है तो हमें दोष देने के लिए गिद्ध वहां बैठे हैं उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है।”