देश की जुबान पर चढी हैं इन सीटों की कहानी
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-अभिषेक कुमार
आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस चुनावी माहौल में देश की नजर किन महत्वपूर्ण पांच सीटों पर लगी है। हालांकि इस पूरे चुनाव में हर सीट महत्वपूर्ण है, लेकिन फिलहाल देश की जनता की नजर इन पांच सीटों पर बैठी है। इन सीटों पर मुकाबला कड़ा है, और उम्मीदवार भी अपने राजनीतिक कद के हिसाब से अहम हैं। इन सीटों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को अपने संसदीय क्षेत्र से नामांकन दाखिल किया। वहीं राहुल गांधी इस बार दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं। भारत की जनता मौसम की परवाह किये बगैर पंक्तियों में खड़े रहकर अपने मतों का प्रयोग कर रहे हैं। आइए जानते हैं वो कौन-कौन से सीट हैं जिस पर देश की नजर लगी हैः-
वाराणसी
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से सांसद हैं। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यहां 5,81,022 वोट मिले थे। उनके खिलाफ ‘आप’ पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खड़े थे, जिन्हें 2, 09,238 वोट आये थे। वहीं कांग्रेस के अजय राय को मात्र 75, 614 वोट आये थे। बसपा और सपा के उम्मीदवारों को मिलाकर 1,05,870 हासिल हुए थे। अगर इन आंकड़ों को जोड़ा जाए तो पता चलता है कि 3,90,722 वोट प्रधानमंत्री के खिलाफ पड़े थे। 2019 में कांग्रेस ने अजय राय को ही अपना उम्मीदवार बनाया है, वहीं बसपा-सपा की ओर से सपा की शालिनी यादव को उम्मीदवार बनाया है। 2014 के आंकड़ों को देखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत को संभव माना जा सकता है, लेकिन क्या इस बार भी प्रधानमंत्री को उतने ही मत प्राप्त होंगे? कांग्रेस द्वारा इस सीट को हल्के में नजरअंदाज कर देना बसपा-सपा गठबंधन को फायादा पहुंचाने में मददगार साबित होगा? इन सवालों के साथ देश की नजर इस सीट पर लगी है।
अमेठी
अमेठी इस बार भी 2014 लोकसभा चुनाव की तरह हाइलेटेड है। यह सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है। 1961 के बाद सिर्फ दो बार यह सीट दूसरी पार्टी के खाते में गई है, 1977 में जनता पार्टी और 1998-99 में भाजपा की जीत हुई थी। 2004 से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यहां के सांसद हैं। 2014 में भाजपा ने यहां से वर्तमान केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को टिकट दिया था, वहीं ‘आप’ पार्टी ने कवि कुमार विश्वास को उतारा था, लेकिन वो दोनों नाकाम रहे। हालांकि भाजपा ने एक बार फिर से 2019 में स्मृति ईरानी पर भरोसा जताया है, इसलिए इस बार स्मृति ईरानी पूरे जोर-शोर से क्षेत्र में लगी हैं। वहीं राहुल गांधी ने इस बार दो जगह से चुनाव लड़ने का फैसला लेकर इस सीट पर कई प्रकार के प्रश्नों को खड़ा कर दिया है। अब देश यह जानता चाहता है कि क्या राहुल गांधी के अंदर इस सीट को लेकर कोई शंका थी या उन्होंने दो जगहों से अपनी दावेदारी ठोककर अपना कद बढ़ाया है।
बेगुसराय
बिहार की संसदीय क्षेत्र बेगुसराय इस वक्त देश की मोस्ट हाइलेटेड सीट की श्रेणी में शामिल हो चुकी है। इस सीट पर सीपीआई उम्मीदवार कन्हैया कुमार ने राजग के उम्मीदवार गिरिराज सिंह और महागठबंधन के उम्मीदवार तनवीर हसन को कड़ी चुनौती दी है। हालांकि जीत का दावा सभी उम्मीदवार कर रहे हैं, लेकिन यहां त्रिकोणीय मुकाबला माना जा रहा है। 29 अप्रैल को चौथे चरण में इस सीट पर मतदान होना है। कन्हैया कुमार 2017 में जेएनयू कैंपस में देशद्रोह मामले के बाद देश में मोदी सरकार के खिलाफ एक आवाज बनकर उभरे जिस पर देश की कई विपक्षी पार्टियों ने उनका साथ दिया था, और आज वह अपने पैतृक संसदीय क्षेत्र से सीपीआई के उम्मीदवार बने हैं, जिन्हे बेगुसराय की जनता का प्यार मिल रहा है, और देश के तमाम बड़ी हस्तियों का साथ भी मिल रहा है, उनके चुनाव प्रचार के लिए सिनेतारिका स्वरा भास्कर, शबाना आजमी, अभिनेता प्रकाश राज, लेखक और कवि जावेद अख्तर, स्वराज अभियान के अध्यक्ष योगेंद्र यादव, नेत्री शहला रशीद जैसी बड़ी हस्तियां बेगुसराय की जमीन पर उतरी है, वहीं जेएनयू और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र उनके लिए स्थानीय लोगों के साथ प्रचार में जुटे हैं।
भोपाल
भोपाल की सीट पर भी देश की नजर लगी है। भाजपा ने यहां जब से साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को अपना उम्मीदवार बनाया है, तभी से यह सीट हाइलेटेड बन गई है, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर हर रोज अपनी बातों और चुनाव प्रचार के माध्यमों से अखबार और टी.वी में छाई रहती हैं। वहीं उनके खिलाफ कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह मैदान में उतरे हैं। दिग्विजय सिंह मोदी सरकार को झूठी सरकार बताकर मुद्दों को उठा रही है। प्रज्ञा ठाकुर अपने चुनावी सभाओं में कांग्रेस पर हमला बोलने के साथ हिंदुत्व एजेंडे और मोदी सरकार की जय-जयकार के साथ आगे बढ़ रही है। साथ ही वे अपने विवादित बयानों के साथ चुनाव आयोग के घेरे में भी आ चुकी है। इसलिए देश की नजर उस सीट पर लग बैठी है। यहां यह भी बता देना जरूरी है कि 1989 से यह सीट भाजपा के पास रही है।
मुंबई उत्तर-मध्य
मुंबई की उत्तर-मध्य सीट पर खासा बवाल नहीं है, लेकिन यहां दिग्गज राजनीतिक व्यक्तियों, दिवगंत प्रमोद महाजन और दिवगंत सुनील दत्त की बेटियों के मध्य जीत की जंग को लेकर सुर्खियां पकड़ रही है। सही तौर पर यह केवल भाजपा और कांग्रेस की जंग मानी जा सकती है। चूंकि दो जानीमानी हस्तियों के परिवार से जुड़े होने के कारण यह सीट हाइलेटेड होती जा रही है। एक तरफ प्रिया दत्त हैं जो 2009 में इस सीट से सांसद चुनी जा चुकी हैं। हालांकि 2014 में यह सीट बीजेपी के खाते में चली गई, और पूनम महाजन सांसद चुनी गई, उन्होंने 1 लाख 86 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी, 2019 में भी बीजेपी ने पूनम पर भरोसा जताया है। दोनों युवा जुझारू नेत्री हैं, इसलिए देश की नजर इस सीट पर है।
यह पांचों सीट अपने-अपने क्षेत्र, उम्मीदवार, विवादों के अनुसार देश की नजर में चढ़ी है। अब देखना यह होगा कि इस महासमर में ये महत्वपूर्ण सीट किस पाले जाकर बैठते हैं। जनता इन सीटों पर किसका बटन दबाती है।