May 19, 2024

राजा बाजार बना ट्रैफिक जाम का अड्डा, आमजन का गुजरना है मुश्किल

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-अभिषेक कुमार

पटना : पटना आज की तारीख में जाम से परेशान है। ऑफिस टाइम से लेकर शाम के 8:30 बजे तक पटना के सभी प्रमुख मार्ग जाम से बेहाल रहते हैं। कुछ सालों पहले तक पटना में सिर्फ सुबह 9:30 से 11 बजे तक और शाम में 5:30 से 7 बजे तक पटना में ट्रैफिक जाम लगता था, लेकिन अब पटना की ट्रैफिक की बदहाली चर्चा का विषय बनी रहती है। समय से पहुंचने के लिए घर से घंटे भर पहले निकलना पड़ता है। समय से न पहुंचने पर ऑफिस में लेट पहुंचने का डर, स्कूल, कॉलेज एवं कोचिंग के क्लास छूटने का डर या फिर किसी अन्य कामों से भी समय पर पहुंचने के लिए घर से जल्दी निकलना पड़ता है। पटना के कुछ इलाके तो जाम लगने की वजह से मशहूर हो गए हैं। आज हम पटना का मुख्य मार्ग बेली रोड के राजाबाजार की बात कर रहे हैं। यहां मुख्य रूप से दिन के 10 बजे से 12 बजे और शाम के 5 बजे से रात के 8:30 बजे तक जाम लगा रहता है। मगर उसके बाद भी दिन में जाम लग जाता है। इस मार्ग पर जाम हटाने के लिए दो-दो पुल भी बनाए गए हैं फिर भी जाम की स्थिति जस की तस बनी रहती है। इस रोड से होकर दो रेलवे स्टेशन भी गुजरता है। इसमें पुराना दानापुर रेलवे स्टेशन है और नवनीत पाटलिपुत्र स्टेशन है। साथ ही एक प्रमुख अस्पताल आईजीएमस भी इसी रोड में पड़ता है। हालांकि आईजीएमस अस्पताल बहुत पुराना है लेकिन इस इलाके का कायाकल्प पिछले 5-10 वर्षों में पूरा हुआ है। यहां आज कई ब्रांडेड मॉल्स, शोरूम खुल गए हैं। जिससे इस बाजार की मांग बढ़ गई है।

दूसरी ओर इस मार्ग पर जाम का एक बहुत बड़ा कारण अतिक्रमण है। हालांकि अतिक्रमण से पूरा पटना त्रस्त है, पर इस इलाके में हाल के वर्षों में अतिक्रमण ने पूरी तरह अपना पैर पसार लिया है। पटना हाईकोर्ट के फैसले के बाद अतिक्रमण हटाने के काम ने जोर पकड़ा था, लेकिन कुछ दिनों के बाद से ही अतिक्रमण ने दोबारा अपनी जड़ें जमा ली हैं। राजा बाजार में शाम के समय ऐसी स्थिति रहती है कि आप समय से पहले न निकलें तो आपकी ट्रेन छूट जायेगी। ठेलेवाले, फलवाले, चाय-नाश्ते की दुकान वाले, सब्जीवालों के लिए यह सड़क उनके जीविकोपार्जन का अड्डा है, प्रशासन द्वारा हटाए जाने पर ये लोग सड़क खाली तो कर देते हैं, लेकिन इसके बाद वापस से ये अपना संसार यहां पुनः बसा लेते हैं।

सब्जी का ठेला लगाने वाले राकेश से पूछे जाने पर कहता है, कि सर यही हमारे जीने का स्थान है, यहीं से चार पैसे कमाते हैं तो घर चल पाता है, जब प्रशासन हमारा ठेला हटा दिया था और दो दिन दुकान नहीं लगा तो घर में खाने का संकट आ गया था।

फल बेचने वाले मंसूर अली ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि सर राजा बाजार से लेकर खजपुरा तक जाम का सिर्फ हम लोग नहीं लगाते हैं, यहां ऑफिस का गाड़ी, आने-जाने वाला का गाड़ी भी लगता है, हम लोग तो बस खाने लायक कमाते हैं।

छात्र राहुल ने कहा कि सर, पुलिस वाला भी यहां कुछ नहीं करता है, चुपचाप खड़ा रहता है, गाड़ी वाला सबको नहीं हटाता है, ऊपर से प्रेशर मिलता होगा तब हटाने का नौटंकी करता है, हम लोग को तो कोचिंग पहुंचने में ही लेट हो जाता है।

प्राइवेट संस्थान में काम करने वाली मनीषा कहती है, हमें जगदेव पथ से हडताली मोड़ पहुंचने में शाम को पैंतालीस मिनट लग जाता है, पहले इतना जाम नहीं लगता था।

बैंकर हरीश देव अपनी आपबीती सुनाते हुए कहने लगे कि, सर, एक बार हमको हाईकोर्ट मोड़ से आईजीएमएस पहुंचना था, बीस मिनट का रास्ता एक घंटा में तय किये, उस दिन बहुत परेशानी उठाना पड़ गई थी।

आपको इस सड़क पर प्रशासन की व्यवस्था केवल आशियाना मोड पर देखने को मिल सकती है, बाद बाकी जगहों से प्रशासन नदारद दिखता है। शाम के वक्त पुलिस की गाड़ियां के दो-तीन दौरे ही इस मार्ग के जाम को नियंत्रित करने में लगी रहती है। पटना ट्रैफिक पुलिस का सिपाही अपना नाम न छापने की एवज में बताता है कि सर, हम लोगों को तो साहेब का जो आदेश आता है, वैसा करते हैं। साहेब का आदेश रहता है जाम हटाओ। लेकिन बस कुछ जगह पर ही पुलिस इस इलाके में खड़ा रहता है। जितना लोग होना चाहिए उतना नहीं रहता है।

सड़क जाम की यह समस्या केवल सब्जी, चाय, फल या चाट-पकौड़े वाले ठेले की वजह से ही नहीं है। बल्कि सड़कों पर बेतरतीब ढंग से खड़ी गाड़ियां, ओवरटेक करने वालों की वजह से, ऑटो-रिक्शा स्टैंड, बस स्टैंड की समुचित व्यवस्था न होने के कारण राजा बाजार के लोगों के साथ-साथ तमाम शहरवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके लिए प्रशासन को, नगर-निगम को व्यवस्था करनी होगी।

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