December 8, 2025

राघव प्रयाग घाट-चित्रकूट में आयोजित सात दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय श्रीरामलीला उत्सव का छठा दिवस

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चित्रकूट – भारतीय संस्कृति में “लीला” केवल धार्मिक या पौराणिक कथा का मंचन नहीं, बल्कि लोकमानस का जीवंत उत्सव है। इसी प्रयास के साथ मध्‍यप्रदेश शासन, संस्‍कृति विभाग द्वारा भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद् नई दिल्ली एवं जिला प्रशासन सतना के सहयोग से 24 से 30 सितम्बर, 2025 तक प्रतिदिन सायं 7 बजे से ‘’अन्‍तर्राष्‍ट्रीय श्रीरामलीला उत्सव’’ का आयोजन श्रीराघव प्रयाग घाट, चित्रकूट में आयोजन किया गया है। इस सात दिवसीय प्रतिष्ठित आयोजन में आप सभी सादर आमंत्रित हैं। प्रवेश निःशुल्क है।

29 सितम्बर 2025 प्रथम प्रस्‍तुति पाचवें दिवस में वेहारा आर्ट्स, मलेशिया के कलाकारों द्वारा ‘’रामायण में नवरस’’ प्रस्‍तुति का मंचन किया गया। इसका निर्देशन श्री कुनारत्‍नम वेलाउथम ने किया, जिसमें आठ कलाकारों ने अभिनय किया। अब तक वेहारा आर्ट्स ने 50 से अधिक इन-हाउस प्रस्तुतियाँ की हैं, साथ ही मलेशिया की प्रमुख नृत्य अकादमियों के साथ अनगिनत सहयोग भी किए हैं। वेहारा आर्ट्स ने केवल मलेशिया में ही नहीं, बल्कि सिंगापुर, इंडोनेशिया, थाईलैंड, भारत, न्यूजीलैंड और जर्मनी में भी व्यापक प्रस्तुतियाँ दी हैं। उल्लेखनीय है कि वेहारा आर्ट्स अकादमी मलेशिया की वर्ल्ड रिकॉर्ड ब्रेकर डांस अकादमी भी है।

परंपरा में नवाचार का प्रतीक
मलेशिया के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत यह मंचन परंपरा में नवाचार का प्रतीक है। इसमें भरतनाट्यम, ओडिसी और समकालीन नाट्य-नृत्य का अद्भुत संगम था। इस प्रस्तुति के माध्यम से कलाकारों ने राम की यात्रा के विविध रंगों से परिचित कराया – प्रेम, शौर्य, विस्मय, करुणा, हास्य, भय, क्रोध, घृणा और शांति के भाव इसमें देखने को मिले। प्रत्येक दृश्य महाकाव्य से चुना गया था और उसमें भाव (अभिव्यक्ति) की शक्ति, नृत्य (गतियों) की लय और नाट्य (रंगमंच) की गहराई का अद्भुत मेल था। यह मात्र नृत्य नहीं, बल्कि शुद्ध और गहन कथाकथन की कला थी।

द्वितीय प्रस्‍तुति संस्कृति कला संगम, नई दिल्ली के कलाकारों द्वारा लीला प्रस्तुति दी गई। श्रीराम अंगद को परम वीर, धैर्यवान और वार्तालाप में चतुर होने के कारण रावण के पास दूत बनाकर भेजते हैं। अंगद ने रावण के हर घमंड और झूठे दावों का खंडन किया। उन्होंने रावण को याद दिलाया कि वह उत्तम कुल में जन्मा होने के बावजूद पराई स्त्री का हरण करके धर्म का नाश कर रहा है। अंगद ने रावण को समझाया कि यदि वह श्रीराम से क्षमा मांगकर उनकी शरण में चला जाए, तो उसके परिवार और प्रजा का कल्याण हो सकता है। फिर अंगद ने रावण और उसके योद्धाओं के सामने अपने एक पैर को पृथ्वी पर इस तरह जमा दिया कि कोई भी उसे उठा न सका। इसे अंगद की शक्ति और राम के प्रताप का प्रदर्शन माना जाता है, रावण अंगद का पैर हिलाने में असफल रहा, जिससे उसे अपनी हार का सामना करना पड़ा और वह अंगद की चुनौती को स्वीकार करने के लिए बाध्य हुआ कि यदि कोई उसका पैर हिला सका तो राम युद्ध से लौट जाएंगे, पर ऐसा कोई न कर सका।

द्वितीय प्रसंग में भगवान श्रीराम की आज्ञा पर लक्ष्मण ने मेघनाद का वध किया था, जबकि मेघनाद अपनी कुलदेवी निकुमभिला के मंदिर में तांत्रिक यज्ञ कर रहा था। यज्ञ के दौरान लक्ष्मण ने मेघनाद के रथ के पहियों को तोड़ दिया और फिर अंजलिकास्त्र का प्रयोग करके उसका सिर धड़ से अलग कर दिया, जिससे रावण के इस शक्तिशाली योद्धा का अंत हो गया।

अहिरावन एक पाताल वासी राक्षस था जिसने श्रीराम और लक्ष्मण को शयन कक्ष से उठाकर पाताल लोक में ले जाकर बंदी बना लिया। जब श्रीराम और लक्ष्मण का कहीं पता नहीं चला, तो श्रीहनुमान ने उनकी खोज में पाताल लोक की ओर प्रस्थान किया। श्रीहनुमान अहिरावन को पाताल लोक में ही मार देते हैं और श्रीराम तथा लक्ष्मण को मुक्त कराते हैं।

जावेद मोहम्मद विशेष संवाददाता भारत विमर्श चित्रकूट मध्य प्रदेश

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