चित्रकूट के राघव प्रयाग घाट में 5 वें दिन भी रहा रामलीला का भव्य प्रस्तुति
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चित्रकूट – भारतीय संस्कृति में “लीला” केवल धार्मिक या पौराणिक कथा का मंचन नहीं, बल्कि लोकमानस का जीवंत उत्सव है। इसी प्रयास के साथ मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद् नई दिल्ली एवं जिला प्रशासन सतना के सहयोग से 24 से 30 सितम्बर, 2025 तक प्रतिदिन सायं 7 बजे से ‘’अन्तर्राष्ट्रीय श्रीरामलीला उत्सव’’ का आयोजन श्रीराघव प्रयाग घाट, चित्रकूट में आयोजन किया गया है। इस सात दिवसीय प्रतिष्ठित आयोजन में आप सभी सादर आमंत्रित हैं। प्रवेश निःशुल्क है।
28 सितम्बर 2025 प्रस्तुति संस्कृति कला संगम, नई दिल्ली के कलाकारों द्वारा लीला प्रस्तुति दी गई। जिसमें भील समुदाय की शबरी ने अपना पूरा जीवन भगवान राम की भक्ति में बिताया था. जब भगवान राम उनके आश्रम में आते हैं, तो शबरी उन्हें मीठे बेर अर्पित करती है, लेकिन वह पहले ही कई बेर चख चुकी होती है, वह केवल जूठे और मीठे बेर ही राम को देती है. राम भी अत्यंत प्रसन्नता से शबरी द्वारा दिए गए उन झूठे बेरों को खाते हैं और शबरी को नवधा भक्ति का ज्ञान देते हैं
बाली वध प्रभु श्री राम द्वारा किष्किंधा के राजा बालि का वध किया जाना था, जो कि सुग्रीव का भाई था। श्री राम ने अपने मित्र सुग्रीव से किये गए वचन के पालन में, बालि द्वारा सुग्रीव पर किये गए अत्याचार (उसकी पत्नी और संपत्ति हड़पना) के दंड के रूप में उसका वध किया। बालि को पेड़ के ओट से छुपकर राम द्वारा बाण मारकर मारा गया, ताकि सुग्रीव को राज्य वापस मिल सके और सीता को खोजने में उनकी सहायता किया गया
मेघनाद और लक्ष्मण का युद्ध में मेघनाद (इंद्रजीत) ने शक्ति बाण से लक्ष्मण को मूर्छित कर दिया था. श्रीराम को लक्ष्मण की दशा से अत्यधिक दुख हुआ और उन्होंने विलाप किया. इसके बाद, हनुमानजी सूर्योदय से पहले द्रोणागिरी पर्वत से संजीवनी और अन्य औषधियां लेकर आए और वैद्य द्वारा ठीक किया गया।




जावेद मोहम्मद विशेष संवाददाता भारत विमर्श चित्रकूट मध्य प्रदेश
