राजमुकुट व राजसी वस्त्रों का परित्याग कर वन की ओर प्रस्थान करते श्री राम
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चित्रकूट – मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग की ओर से श्री रामकथा के विविध प्रसंगों की लीला प्रस्तुतियों पर एकाग्र सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय श्रीरामलीला उत्सव का आयोजन श्री राघव प्रयाग घाट, नयागाँव चित्रकूट में किया जा रहा है। समारोह में लीला मण्डल रंगरेज कला संस्थान, उज्जैन के कलाकार प्रतिदिन शाम-7 बजे से श्री रामकथा के प्रसंगों की प्रस्तुतियां दे रहे हैं। इस अवसर पर “श्री रामराजा सरकार” श्रीराम के छत्तीस गुणों का चित्र कथन प्रदर्शनी का आयोजन भी किया जा रहा है। समारोह के तीसरे दिन मंगलवार को श्रीराम बारात, श्रीराम राज्य की घोषणा, कैकेयी- मंथरा संवाद, दशरथ-कैकेयी संवाद और श्रीराम वन गमन प्रसंगों को कलाकारों ने अपने भाव, अभिनय और संगीत कौशल के माध्यम से मंच पर जीवंत कर दिया। श्रीराम के राज्याभिषेक की घोषणा के बाद अयोध्या का हर घर खुशियों में सराबोर था। फिर एक रात्रि के अंधेरे ने अयोध्या को ऐसा घेरा कि पूरा नगर 14 वर्षों के लिए ईश्वर रूपी राजा के प्रेम से दूर हो गया। श्रीराम बने सुमित नागर ने अपने अभिनय कौशल अनुराग से इस दृश्य को ऐसे जिया कि दर्शकों के नेत्रों से अश्रुधारा बह निकली। श्रीराम के प्रेम के सरोवर में गोते लगा रहे श्रोताओं को ऐसा लगा जैसे सरयू की तरह आज मंदाकिनी के दुःख की भी कोई थाह नहीं है। रोम-रोम में बसने वाले श्रीराम की कथा के इस प्रसंग ने हर दर्शक के अंतर्मन को झंझोर दिया। प्रभू के प्रेम के अथाह सागर में खोई आत्मा बस प्रभु को स्मरण कर उन्हें ही पुकार रही थी। प्रभु श्रीराम ने राजमुकुट और राजसी वस्त्रों का परित्याग कर वन की ओर ऐसे सहज भाव से प्रस्थान किया कि देवों के अश्रु भी विरह के इस दृश्य में बह निकले।
जावेद मोहम्मद विशेष संवाददाता भारत विमर्श चित्रकूट मध्य प्रदेश