May 21, 2024

नक्सल घटनाओं में कमी, तीसरे से पांचवे पायदान पर आया बिहार

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पटना: नक्सल समस्या के मामले में बिहार तीसरे पायदान से ख़िसक कर पांचवें पायदान पर आ गया है. बिहार पुलिस के अपर पुलिस महानिदेशक एस के सिंघल ने बताया कि बिहार में चलाए गए नक्सलियों के खिलाफ लगातार अभियान के फलस्वरूप स्थिति में ये सुधार देखने को मिला है. पहले ये देश के नक्सल प्रभावित राज्यों में छत्तीसगढ़ और झारखंड के बाद बिहार का ही नाम आता था, लेकिन स्थिति में इस सुधार के बाद बिहार का नाम छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और महाराष्ट्र के बाद आने लगा है.
उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 और 2017 में बिहार में जहां 100 और 71 नक्सली घटनाएं घटी थीं जबकि वर्ष 2018 के अगस्त माह तक मात्र 25 नक्सली वारदात हुई हैं.  वर्ष 2016 और 2017 में जहां 468 और 383 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया था, जबकि वर्ष 2018 में अगस्त महीने तक 262 नक्सली पकड़े गए है.
सिंघल ने बताया कि वाम उग्रवादियों द्वारा लेवी के तौर पर वसूली गयी राशि की बरामदी भी पहले से कही ज्यादा हुई है. इसके अलावा बिहार पुलिस की अनुशंसा पर प्रवर्तन निदेशालय ने नक्सलियों द्वारा गलत तरीके से अर्जित की गयी सम्पत्ति को भी बडे़ पैमाने पर कुर्क किया गया.
वर्ष 2017 के जुलाई और अगस्त महीने से इस वर्ष 2018 के जुलाई और अगस्त महीने का तुलनात्मक आंकड़ा पेश किया और बताया कि संज्ञेय अपराधों में 12.07 प्रतिशत की कमी आयी है.
सिंघल ने कहा कि डकैती की वारदातों में 53.85 प्रतिशत, लूट की वारदातों में 29.34 प्रतिशत, गृह भेदन की वारदातों में 5.18 प्रतिशत, साधारण दंगों के मामले में 11.17 प्रतिशत, भीषण दंगों की घटनाओं में 7 प्रतिशत, अपहरण की घटनाओं में 13.9 प्रतिशत, बलात्कार की घटनाओं में 31.82 प्रतिशत, एससी/एसटी एक्ट से संबंधित घटनाओं में 12.18 प्रतिशत और महिला उत्पीड़न के मामलों में 12.45 प्रतिशत की कमी आयी है. वही हत्या और चोरी के मामलों में क्रमश: 1.43 प्रतिशत एवं 3.16 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और फिरौती के लिए अपहरण के मामलों में तीन कांड अबतक दर्ज हुए हैं.
उन्होंने ने कहा कि अक्तूबर 2017 से अगस्त 2018 के दौरान जघण्य सहित अन्य अपराध के मामलों में एक लाख 77 हजार 448 लोगों को गिरफ्तार किया गया.  इनमें से जघण्य अपराध में गिरफ्तार लोगों की संख्या 1,49,45 है.  बदमाशों की केवल गिरफ्तारी ही नहीं हो रही है बल्कि, उन्हें सजा भी सुनाई जा रही है. त्वरित मुकदमों के तहत इस साल जनवरी से जुलाई तक 3630 अभियुक्तों को सजा सुनायी गयी और गत जुलाई महीने में 646 अभियुक्तों को सजा मिली. वही कर्तव्यहीनता के मामले में 369 पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई हुई तथा 41 पुलिसकर्मियों को नौकरी से बर्खास्त किया गया.

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