धूम धाम से मनाया गया 52 वां कजली महोत्सव राजमहल, एक साथ हजारों माताओं – बहनों द्वारा मंदाकिनी नदी में खोटी गई कजलियां
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चित्रकूट – भगवान श्री राम की पावन कर्मभूमि चित्रकूट धाम की पवित्र नदी मंदाकिनी के तट पर भाद्र पद मास के शुभारंभ परेवा तिथि को हर्षोल्लास पूर्वक धूमधाम से 52 वां कजलियां महोत्सव मनाया गया।श्रावण मास की पूर्णमासी तिथि रक्षा बंधन के दूसरे दिन चित्रकूट में कजलियां महोत्सव मनाया जाता है।कजलियां प्रकृति प्रेम और खुशहाली से जुड़ा पर्व है।इसी कड़ी में धर्मनगरी चित्रकूट में विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी मां मंदाकिनी नदी के किनारे कजलिया उत्सव मनाया गया। इस अवसर पर आस-पास के गाँवो की हजारों महिलाएं कजलियां लेकर पारंपरिक गीत गाते हुए गाजे-बाजे व हाथी-घोड़ों के साथ मंदाकिनी तट पर पहुंचीं। और पूरे विधि-विधान से नदी में कजलियों का विसर्जन किया,साथ ही एक-दूसरे को कजली देकर शुभकामनाएं दी और बुजुर्गों से आशीर्वाद लिया। इसके मौके पर घाट किनारे कजलिया महोत्सव का आयोजन किया गया जिसमें कजरी गायन व दंगल सहित अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमो का आयोजन किया गया। जिसे देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग एकत्र हुए। इस दौरान नदी के दोनों किनारो पर मेले जैसा नजारा दिखा। वंही मेले में लगी दुकानों में महिलाओ एवं बच्चों ने जमकर खरीददारी की।गौर तलब है कि बीते 51वर्षों से नयागांव चित्रकूट राज महल द्वारा प्रतिवर्ष रक्षा बंधन के दूसरे दिन कजलियां महोत्सव का आयोजन मंदाकिनी नदी के तट पर करवाया जा रहा है।कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और चित्रकूट के पूर्व कांग्रेस विधायक नीलांशु चतुर्वेदी के पिता और राज महल के नन्हे राजा हेमराज चौबे द्वारा कजरी उत्सव को सनातन धर्म के रीढ़ की हड्डी बताते हुए कहा गया कि यह उत्सव हम लोग 51 वर्षों से मनाते हुए चले आ रहे हैं।कजरी उत्सव में हम सब को शक्ति स्वरूपा माताओं बहनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कजलियों के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि ऊपर का हरा भाग समृद्धि का प्रतीक माना जाता है,तो वहीं नीचे का पीला और सफेद रंग शांति का प्रतीक माना जाता है।पूर्व विधायक नीलांशु चतुर्वेदी द्वारा कहा गया कि सामाजिक सौहार्द के रुप में कजलियां महोत्सव मनाया जाता है।इसके माध्यम से हम लोग अपनी माताओं बहनों का सम्मान करते हुए उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।इस महोत्सव में न तो किसी की कोई जाति होती है, और न किसी का कोई धर्म होता है।सामाजिक समरसता के तहत समाज के हर वर्ग का व्यक्ति इसमें उल्लास पूर्वक शामिल होता है।




जावेद मोहम्मद विशेष संवाददाता भारत विमर्श चित्रकूट मध्य प्रदेश