Supreme Court ने सांसद विधायकों पर कसी नकेल
1 min readनई दिल्ली – भारतीय संविधान के साथ असंगत रिश्वतखोरी और वोट खरीद-बिक्री को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पहले के फैसले को पलटा और कहा कि ऐसे मामलों में सांसदों और विधायकों को कानूनी कार्रवाई से छूट नहीं मिलनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने ‘सीता सोरेन बनाम भारत सरकार’ मामले में 7 जजों की बेंच द्वारा फैसला सुनाया। इस फैसले में कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 105(2) और 194(2) के तहत सांसदों और विधायकों को हासिल विशेषाधिकार की व्याख्या की।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले के फैसले को खारिज किया और कहा कि रिश्वत के बदले सदन में भाषण या वोट देने के मामलों में जनप्रतिनिधि कानूनी मुकदमे से छूट नहीं मिलनी चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसी कार्रवाई लोकतंत्र को हानिकारक मानी जाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने विधायिका के किसी सदस्य की ओर से भ्रष्टाचार या रिश्वतखोरी सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी को खत्म कर देती है, इसलिए ऐसे मामलों में कोई छूट नहीं होनी चाहिए।सुप्रीम कोर्ट ने 1998 के नरसिम्हा राव जजमेंट के अपने फैसले को पलट दिया है। इससे पहले 1998 में 5 जजों की संविधान पीठ ने 3:2 के बहुमत से तय किया था कि रिश्वतखोरी के ऐसे मामलों में जनप्रतिनिधियों पर मुक़दमा नहीं चलाया जा सकता।
यह सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला है जो देश के लोकतंत्र में ईमानदारी और न्याय को स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण है। इस फैसले से सांसदों और विधायकों को कानूनी जिम्मेदारी में रहने का संदेश मिलता है।
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