सावन में जीवन्त हुआ “आषाढ़ का एक दिन”
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-अखिलेश झा
अच्छी कथा वस्तु,अच्छे कलाकार और सधे हुए निर्देशक की क्षमता एकत्र हो जाए तो ऐसे में मंचित होने वाले नाटक दर्शकों को तालियां बजाने को विवश कर ही देते हैं। यह संभव हुआ ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर संगीत नाटक विभाग के प्रेक्षागृह में “द स्पौटलाइट थिएटर” के द्वारा।
मोहन राकेश रचित नाटक “आषाढ़ का एक दिन” सावन में भी आषाढ़ की अनुभूति करा गया। ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित इस नाटक में आधुनिक समस्याओं को सफलता से पेश किया गया है। सन् 1958 में प्रकाशित यह त्रिखण्डीय नाटक आज भी प्रासंगिक है।
नाटककार ने अपने इस नाटक में कल्पना और मिथ के सहारे जिस कालिदास के चरित्र को गढ़ा है वे व्रती,तपस्वी,महात्मा या महाकवि नहीं अपितु, दुर्बल,आत्मसीमित,ज्ञानशून्य,पलायनवादी एवं अन्तर्द्वन्द्व में फँसे व्यक्ति हैं। इसी दृष्टिकोण से कालिदास के जीवन के उतार चढाव को इस नाटक के माध्यम से दर्शकों को दिखाने की कोशिश की गई है।
मोहन राकेश की इस सोच को द स्पौटलाइट थिएटर के कलाकारों ने सागर सिंह के कसे हुए निर्देशन में विश्वविद्यालय संगीत नाटक स्नातकोत्तर विभाग के दर्शकों से खचाखच भरे प्रेक्षागृह के रंगमंच पर अपने प्रभावशाली अभिनय क्षमता के दम पर जीवन्त कर दिया।
कालिदास की भूमिका में प्रशान्त राणा व ऋषभ झा ने,मल्लिका की भूमिका में सुष्मिता,अम्बिका की भूमिका में यशुप्रिया और प्रियंगुमंजरी की भूमिका में शिवानी ने जहाँ एक ओर चरित्र को जीवन्त कर दिया वहीं दूसरी ओर सागर सिंह ने निर्देशन जैसा गंभीर दायित्व निभाते हुए भी विलोम की भूमिका में अपने अभिनय क्षमता का लोहा मनवाया। मातुल की भूमिका में अंकुश प्रसाद,दन्तुल की भूमिका में पुष्पक तथा निक्षेप की भूमिका में अभिषेक ने भी दर्शकों को बान्धे रखा। अनुस्वार के रूप में सत्यम तथा अनुनासिक के रूप में आशीष और विवेक ने काफी प्रशंसा पाई। नवोदित अभिनेत्री के रूप में रंगिनी की भूमिका में सृष्टि और संगिनी के रूप में पल्लवी का अभिनय भी सराहनीय रहा।
कुल मिलाकर “द स्पौटलाइट थियेटर” दरभंगा का यह नाट्य मंचन सफल और प्रशंसनीय रहा । नाटक के सफल मंचन मे संगीत नाटक विभागाध्यक्षा डॉ.लावण्या कीर्ति सिंह काव्या,डॉ.पुष्पम नारायण,थाना प्रभारी अजय झा,डॉ.वेदप्रकाश, सहित कई गण्यमान्य नाट्य प्रेमी उपस्थित होकर कलाकारों का उत्साह बर्धन किया।सामूहिक दीप प्रज्वलन से आरम्भ हुए
कार्यक्रम का संचालन शिप्रा कुमारी,स्वाग भाषण डॉक्टर पुष्पम नारायण और धन्यवाद ज्ञापन डॉ.लावण्या कीर्ति सिंह काव्या ने किया।