May 3, 2024

नाना जी का व्यवहार, चरित्र निर्मल और पारदर्शी था

1 min read
Spread the love

चित्रकूट – भारत रत्न राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख के जन्म दिवस पर चल रहे कार्यक्रमों की श्रृंखला में आज महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास सभागार में नानाजी स्मृति व्याख्यान माला का आयोजन हुआ। दीनदयाल शोध संस्थान के राष्ट्रीय संगठन सचिव अभय महाजन के मुख्य आतिथ्य में संपन्न इस विशेष व्याख्यान माला के मुख्य वक्ता उत्तम कुमार बनर्जी वास्तुविद एवं समाज सेवी रहे। अध्यक्षता कुलपति प्रोफेसर भरत मिश्रा ने की। उद्योगपति बसंत पंडित विशिष्ट अतिथि और विज्ञान एवं पर्यावरण संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर आई पी त्रिपाठी संयोजक रहे।
इस अवसर पर प्रख्यात विचारक एवं समाजसेवी भारत रत्न राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विद्वत चर्चा हुई तथा उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई ।
व्याख्यान माला के मुख्य वक्ता उत्तम कुमार बनर्जी ने नाना जी के व्यक्तित्व तो कृतित्व पर चर्चा करते हुए कहा कि नानाजी युगानुकुल पुनर्रचना के शिल्पकार थे ।प्रभु श्री राम की वनवास भूमि चित्रकूट के विकास के लिए उन्होंने अनेक रचनात्मक प्रकल्प प्रारंभ किए।शिक्षा के माध्यम से गांव और गांव में रहने वाली आबादी तथा ग्रामीण संसाधनों की मजबूती के लिए नानाजी ने शिक्षा के माध्यम से ग्रामोदय का संकल्प लिया था। महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय की परिकल्पना और स्थापना इसी उद्देश्य के लिए की थी। आर्किटेक्ट श्री बनर्जी ने अपने और नाना जी साथ हुई प्रत्यक्ष मुलाकात का संस्मरण साझा करते हुए कहा कि ग्रामोदय विश्वविद्यालय की स्थापना की प्रेरणा नानाजी ने महात्मा गांधी से ली थी। नाना जी ने गांधी जी की मूर्ति विश्वविद्यालय प्रांगण में लगाने के लिए मुझे चर्चा की थी। मुझे खुशी है कि नाना जी के विचारों को साकार करने की दिशा में महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय कृत संकल्पित है। उन्होंने कहा कि नाना जी नाना जी ज्ञान के भंडार थे। उन्हें समाज के प्रत्येक क्षेत्र का विशिष्ट अनुभव था। नाना जी का विचार गुलामी मानसिकता से युक्त देश की तत्कालीन शिक्षा नीति से भिन्न था । उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में नैतिक शिक्षा विषय से युक्त एक स्कूल खोला था, जो बाद में पूरे देश में सरस्वती शिशु मंदिर और सरस्वती विद्या मंदिर की श्रृंखला के रूप में जाना गया। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सार्थक ग्रामीण शिक्षा के लिए उन्होंने चित्रकूट में ग्रामोदय विश्वविद्यालय की स्थापना की थी ।नाना जीके जीवन दर्शन पर आधारित अनेक प्रसंग साझा करते हुए श्री बनर्जी ने आवाहन किया कि यह अध्ययन कर रहे विद्यार्थियों को नाना जी को समझने और जानने के लिए नाना जी द्वारा प्रारंभ किए गए रचनात्मक प्रकल्पों को देखने जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नाना जी का कोई शत्रु नहीं था, नाना जी का व्यवहार ,चरित्र निर्मल और पारदर्शी था। सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को नाना जी के जीवन दर्शन से सीख लेनी चाहिए।
व्याख्यान माला के मुख्य अतिथि एवं दीनदयाल शोध संस्थान के राष्ट्रीय संगठन सचिव अभय महाजन ने कहा कि नानाजी ने वन मैन आर्मी के रूप में विकास का युगानुकुल ढांचा खड़ा किया है। नाना जी ने के जीवन चरित्र एवं उनके कामों को आत्मसात कर राष्ट्र का व्यवस्थित विकास किया जा सकता है। सुखद अनुभव हो रहा है नाना जी की संकल्पना और कार्यशैली को अपनाकर महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में इस क्षेत्र के विकास में अपना सशक्त योगदान कर रहा है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना के कारण क्षेत्र में अनेक प्रकार के रोजगार सृजित हुए हैं । यहां के निवासियों की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। उच्च शिक्षा का प्रतिशत बढ़ा है। श्री महाजन ने नाना जी से जुड़े अनेक प्रसंगों को साझा किया।
व्याख्यान माला की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रोफेसर भरत मिश्रा ने कहा कि भारत रत्न राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख एकात्म मानववाद दर्शन के शिल्पकार थे । प्रो मिश्रा ने कहा कि महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय नाना जी के विचारों को यथार्थ का धरातल प्रदान करने की दिशा में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। प्रोफेसर मिश्रा ने कहा कि शरद पूर्णिमा को जन्मे नाना जी देशमुख का चरित्र और जीवन दर्शन चंद्रमा की भांति 16 कलाओं से युक्त एवं परिपूर्ण था। नानाजी ने भारतीय राजनीति को एक नई दिशा दी है। प्रोफेसर मिश्रा ने नाना जी के अनेक संस्मरणों को साझा करते हुए कहा कि नानाजी ने प्रभु श्री राम और भक्त हनुमान की भांति पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मित्रता का एक अनूठा उदाहरण चित्रकूट में प्रस्तुत किया है। लोगों को इससे प्रेरणा लेना चाहिए। कार्यक्रम के संयोजक एवं विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर आईपी त्रिपाठी ने नाना जी स्मृति व्याख्यान माला की औचित्य एवं महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि नानाजी ने ग्रामोदय विश्वविद्यालय के माध्यम से इस क्षेत्र के विकास से महत्वपूर्ण योगदान दिया है। प्रोफेसर त्रिपाठी ने नाना जी से जुड़े अनेक प्रेरक संस्मरणों को प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन एवं नाना जी के तैल चित्र पर माल्यार्पण से हुआ। संगीत ईकाई ने सरस्वती वंदना, कुलगीत एवं स्वागत गीत प्रस्तुत किया।अतिथियों का शाल श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह देखकर स्वागत अभिनंदन किया गया। आभार प्रदर्शन डॉक्टर सीता शरण गौतम ने किया।
इस अवसर पर शिक्षकों, अधिकारियों, कर्मचारियों एवं छात्र-छात्राओं ने सहभागिता की।

जावेद मोहम्मद विशेष संवाददाता भारत विमर्श चित्रकूट मध्य प्रदेश

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © All rights reserved Powered By Fox Tech Solution | Newsphere by AF themes.