September 27, 2024
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चित्रकूट – रामचरितमानस के रचयिता तुलसी दास की जयंती उत्साह पूर्वक ढंग से महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के हिंदी भवन में मनाई गई। इस दौरान हिंदी भाषा और तुलसी साहित्य के शोध कर्ताओं,प्रख्यात विद्वानों ने चित्रकूटधाम क्षेत्र से तुलसी दास के रिश्ते को याद करते हुए कहा कि संत तुलसी दास की जन्म स्थली राजापुर, उनकी धर्मपत्नी रत्नावली की जन्म स्थली महेवा गांव और रामघाट चित्रकूट में स्वयं चंदन घिस रहे संत तुलसी से प्रभू श्री राम और श्री लक्ष्मण का दर्शन कराने वाले तोता मुखी श्री हनुमान मंदिर , गुरु स्थान नरहरि दास मंदिर परिक्रमा मार्ग चित्रकूट तथा नांदी हनुमान मंदिर आदि के विकास का आवाहन किया। तुलसी जयंती समारोह के मुख्य अतिथि कुलपति प्रो भरत मिश्रा रहे। अध्यक्षता कला संकाय के अधिष्ठाता प्रो नंद लाल मिश्रा ने किया। संयोजन हिंदी विभागाध्यक्ष डा ललित कुमार सिंह थे।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि और कुलपति प्रो भरत मिश्रा ने कहा कि रामचरितमानस सहित अनेको तुलसी साहित्य ने भारत की आजादी के लिए चल रहे आंदोलन की क्रांति को प्रोत्साहित किया है। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को तुलसी साहित्य का गहन अध्ययन करना चाहिए। अध्यक्षता कर रहे अधिष्ठाता प्रो नंद लाल मिश्रा ने कहा कि रामचरितमानस की प्रत्येक चौपाई मंत्र है, जो आपाधापी के इस दौर में हमें सार्थक दिशा दे पाने में सक्षम है। प्रो घनश्याम गुप्ता ने रामचरित मानस में पर्यावरण चेतना के प्रसंगों को प्रस्तुत किया। डॉ कुसुम सिंह ने तुलसी साहित्य में समन्वयवाद आदि विभिन्न चिंतनों पर चिंतन को प्रस्तुत करते हुए कहा कि तुलसी साहित्य में सामाजिक समस्याओं एवम समाधान को बताया गया है।डॉ सी पी गूजर ने तुलसी साहित्य में प्रबंधन कौशल के अंशों को बताया। डॉ नीलम चौरे ने राम चरित मानस में परिवार नीति पर प्रकाश डाला। संचालन कर रहे डॉ ललित कुमार सिंह ने तुलसी साहित्य, तुलसी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विचार प्रस्तुत करते हुए तुलसी दास के सामाजिक चिंतन पर प्रकाश डाला ।

जावेद मोहम्मद विशेष संवाददाता भारत विमर्श चित्रकूट मध्य प्रदेश

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